कर्म क्या है और कर्म किसे कहते है? | What is Karm in Hindi
नमस्कार मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आप सभी का हमारे नॉलेज ग्रो हिन्दी ब्लॉग में स्वागत है। दोस्तो आज का यह आर्टिकल आप सभी के लिए बहुत ही खास और Inspirational होने वाला है। क्योंकि दोस्तो आज में आपको गौतम बुद्ध की कहानी के जरिए बताने वाला हूं की कर्म क्या है और कर्म किसे कहते हैं?
कर्म क्या है और कर्म किसे कहते है? | What is Karm in Hindi
दोस्तों एक बार महात्मा गौतम बुद्ध के शिष्य ने उनसे पूछा की कृपया हमे यह बताए कि कर्म क्या है और कर्म किसे कहते हैं? तो उसके बाद महात्मा गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य से कहा की कर्म को समझने के लिए में तुम्हे एक कहानी सुनाता हूं, इस कहानी से तुम समझ जाओगे की कर्म क्या है और कर्म किसे कहते है?
और दोस्तो में आज आप सभी को वही कहानी बताने वाला हूं जो बहुत साल पहले महात्मा गौतम बुद्ध जी ने अपने शिष्य को कर्म क्या है यह समझाने के लिए सुनाई थी। दोस्तो अगर आपको यह कहानी पसंद आई तो अपने दोस्तो के साथ इसे शेयर करना मत भूलिए। तो बिना देर किए कहानी को शुरू करते हैं।
Gautam Buddha Inspirational Story in Hindi
दोस्तों बुलंद शहर का एक राजा था, जो अपने मंत्री के साथ घोड़े पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। राज्य का भ्रमण करने के बाद राजा एक दुकान (मकान) के पास रुक गया और रुकने के बाद राजा ने अपने मंत्री से कहा की, मंत्री जी मालूम नहीं क्यों लेकिन मुझे लगता हैं की इस दुकान दार को कल के कल फासी की सजा सुना दू, और मुझे इसे मृत्यु दण्ड देने की इच्छा हो रही है।
उसके बाद मंत्री जी राजा से इसका कारण पूछ पाते इससे पहले राजा उससे आगे निकल गए। मंत्री ने इसका कारण पता करने के लिए अगली सुबह भेस बदल कर आम जनता का रूप धारण करके उस दुकान दार के पास पहुंचा और वैसे तो दुकानदार चंदन की लकड़ियां बेचने का काम करता था।
इसके बाद मंत्री जी ने दुकानदार से पूछा कि भाई आपका काम कैसे चल रहा है? उसके बाद दुकानदार ने कहा की भाई बहुत ही बुरा हाल चल रहा है, लोग दुकान पर आते हैं, चंदन को सूंघते है और फिर उसकी प्रसंसा तो बहुत करते हैं, लेकिन खरीदता तो कोई भी नहीं। और उसने आगे बताया की मैं सिर्फ इसी इंतजार में हू की कब हमारे राज्य के राजा की मृत्यु हो जाए और उनके अंतिम संस्कार के लिए मेरे दुकान से बहुत सारी चंदन की लकड़ियां खरीद लिया जाए।
और शायद वहा से मेरे चंदन की लकड़ियां बेचने के व्यापार में थोड़ी बढ़ोतरी हो जाए और मेरा व्यापार भी अच्छा हो जाएगा। दोस्तो इसके बाद मंत्री को सब बात समझ में आ गई की यही वो नेगेटिव यानी नकारात्मक विचार है जिसने राजा के मन को भी नकरात्मक बना दिया है।
दोस्तो वह मंत्री बहुत ही बुद्धिमान और होशियार था। तो इसीलिए उसने सोचा कि में थोड़ी बहुत इस दुकान दार से चंदन की लकड़ियां खरीद लेता हूं। और उसके बाद उस मंत्री ने उस दुकानदार से पूछा की क्या में आपके दुकान से थोड़ी बहुत चंदन की लकड़ियां खरीद सकता हूं? दुकानदार यह सुनकर बहुत खुश हो गया और उसने सोचा कि चलो इतने समय से कुछ भी नही बिक रहा था, और उसके बाद उस दुकानदार ने कुछ चंदन की लकड़ियो को अच्छी तरह से पैक करके उस मंत्री जी को दे दिया।
दोस्तो उसके बाद मंत्री ने अगली सुबह राजा की दरबार में पहुंच गया और उसने राजा से कहा की राजा वो जो दुकानदार है ना, उसने कुछ चंदन की लकड़ियां आपके लिए तोफे के रूप में भेजी है। यह बात सुनकर राजा बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगे की में बेकार में ही उस दुकानदार के बारे में गलत सोच रहा था और उसने उन चंदन की लकड़ियो को हाथ में ले लिया और उसने उन चंदन की लकड़ियों को बहुत ही अच्छी तरह से सूंघ लिया और उसमे से बहुत ही अच्छी सुगंध आ रही थी।
दोस्तो राजा इससे बहुत ही ज्यादा खुश हुए और उसके बाद राजा ने अपने मंत्री के हाथो उस दुकानदार के लिए कुछ सोने के सीखे भेज दिए गए। उसी आम जनता का रूप धारण करके मंत्री जी अगली सुबह उस दुकानदार के पास चले गए और उसने वह सोने के सीखो को उस दुकानदार को दे दिया।
दोस्तो उसके बाद दुकानदार बहुत खुश हुआ और मन ही मन उसने सोचा कि में बेवजह अपने राज्य के राजा के बारे में गलत सोच रहा था। राजा तो बहुत ही ज्यादा दयालु है और यही पर महात्मा गौतम बुद्ध जी ने कहानी को खत्म किया। ये कहानी जब खत्म हुई तब गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा कि अब आप बताए की…
कर्म क्या होता है?
तब गौतम बुद्ध जी के सभी शिष्यों ने जवाब देते हुए कहा की शब्द ही हमारे कर्म होते हैं और हम जो भी काम करते वही हमारे कर्म होते हैं, और जो हमारी भावनाए होती है वही हमारे कर्म होते हैं। महात्मा गौतम बुद्ध जी के सभी शिष्यों के जवाब को सुनने के बाद महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा की आपके विचार ही आपके कर्म हैं।
अगर आपने अपने खुद के विचारो पर नियंत्रण पाना सिख लिया, तब आप एक महान इंसान बन जाते हैं। जब आप अच्छा सोचते हैं तब आपके साथ अच्छा ही होता है और वो होता ही रहेगा। दोस्तो इसीलिए में भी कहना चाहूंगा की अगर आप अच्छा सोचोगे तो दूसरे लोग भी अपने आप आपके बारे में अच्छा सोचने लग जायेंगे।
दोस्तो अगर आप चाहे कि यह महात्मा गौतम बुद्ध जी की बाते और लोगों तक भी पहुंचे तो कर्म क्या है और कर्म किसे कहते हैं? इस लाइफ चेंजिंग आर्टिकल को अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर कीजिए और यह कहानी आपको पसंद आई होगी तो नीचे कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके हमे जरूर बताए कि यह कहानी आपको कैसी लगी।
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दोस्तों आज के इस “कर्म क्या है और कर्म किसे कहते हैं” हिंदी आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तों हम आपसे फिर मिलेगे ऐसे ही एक इंट्रेस्टिंग और लाइफ चेंजिंग आर्टिकल के साथ, तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिये और खुशियाँ बाटते रहिये।
आपका बहुमूल्य समय हमें देने के लिए दिल से धन्यवाद.