बुद्ध से जाने बुद्धिमान कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं? | Buddhiman Kaise Bane
नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से आपका नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो आज के इस इंट्रेस्टिंग और लाइफ चेंजिंग आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे की हम बुद्धिमान और इंटेलिजेंट कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं? गौतम बुद्ध के जीवन की सच्ची घटना से।
दोस्तो अगर आप बुद्धिमान कैसे बने इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान से पढ़ते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि बुद्धिमान कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं? तो बिना समय को वेस्ट किए चलिए शुरू करते हैं।
बुद्ध से जाने बुद्धिमान कैसे बने? | Buddhiman Kaise Bane
दोस्तो एक बुद्धिमान व्यक्ति कभी नहीं कहेगा की वह बुद्धिमान है, इसीलिए नहीं की ऐसा कहने से उसकी बुद्धिमता कम हो जाएगी। बल्कि इसीलिए क्यूंकि वह ऐसा कहने की व्यर्थाता को देख पाता है। दोस्तो गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई एक छोटी सी कहानी जो आपको बताएगी की वास्तव में बुद्धिमान कौन है?
एक नगर में एक लड़का रहा करता था और उसका दिमाग बहुत तेज था, और उसकी खासियत यह थी कि वह किसी भी चीज को बड़ी जल्दी और आसानी से सीख लेता था। जहा अन्य लोगों को किसी काम को सीखने में महीने या वर्ष लगते थे, वहीं पर इस लड़के को उसी काम को सीखने में कुछ दिन लगते थे।
उसकी ख्याति दूर दूर तक फैल गई थी, और कहा जाने लगा था कि उस व्यक्ति के जितना बुद्धिमान कोई नहीं है। परन्तु वह व्यक्ति तो जानता था कि वह भीतर से क्या है? हर व्यक्ति जानता है कि वह भीतर से क्या है? चाहे वो बाहर से कुछ भी दिखाए। वह व्यक्ति भी भीतर से तो परेशान था, परतू वह अपने अहंकार से अपने परेशानियों को ढकना चाहता था।
दोस्तो ज्यादातर लोग ऐसे ही करते हैं और शो अप इसिका नाम है। वह व्यक्ति अपनी प्रसिद्धि को और बढ़ाने के लिए तरह तरह के काम सीख रहा था। वह चित्रकारी करना जानता था, वह मूर्ति बना सकता था और वह गीत गा सकता था, और वो दुनिया जहान का हर वो काम सीख चुका था, जो उसने अब तक देखे हुए थे।
इसीलिए उसे अपनी बुद्धिमता पर अहंकार था, क्यूंकि कोई भी साधारण आदमी एक काम कर सकता है, या दो काम कर सकता है या ज्यादा से ज्यादा 3 काम को कर सकता है। परन्तु वह तो सैकड़ों काम को कर सकता था, और बहुत अच्छे से कर सकता था। इसीलिए उसे अपनी बुद्धिमता पर अहंकार था।
वह इस बात को अंदर ही अंदर मान चुका था कि उसके जितना बुद्धिमान इस दुनिया में कोई भी नहीं है। फिर एक दिन उसका सामना गौतम बुद्ध से होता है। उसे पहली बार एक ऐसा व्यक्ति दिखता है, जिससे उसे ईर्षा होती हैं। अब तक उसने ऐसे लोग देखे हुए थे, जो उससे ईर्षा करते थे, और जहा ईर्षा होती हैं, वहां तुलना का होना निश्चित हैं।
वह व्यक्ति अपनी तुलना गौतम बुद्ध के साथ करना शुरू कर देता है। वह देखता है कि बुद्ध के पास तो एक भिक्षा का कटोरा है और लेकिन उसके पास धन की कोई भी कमी नहीं है। बुद्ध के वस्त्र तो साधारण से थे, परन्तु उसके वस्त्र बहुत कीमती है। बुद्ध तो जमीन पर नंगे पैर चलते हैं, परन्तु वह नंगे पैर नहीं चलता।
इसी तरह से वो आदमी सैकड़ों चीजों से अपनी तुलना गौतम बुद्ध के साथ करने लगता है। परन्तु हर तुलना के बाद भी वह पाता है कि उसकी ईर्षा बुद्ध के प्रति एक प्रतिशध भी कम नहीं होती। वह व्यक्ति मन ही मन सोचता है कि में इस भिक्षु से अपनी तुलना क्यों कर रहा हूं? जब कि मेरा जीवन इससे सौ गुना बेहतर है।
लोग भी बुद्ध का सम्मान कर रहे हैं, आखिर इसके भीतर ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है। और जिसके कारण मेरे भीतर इसके प्रति ईर्षा है। बहुत देर अपने मन में उलझे रहने के बाद वह व्यक्ति तय करता है कि वह बुद्ध के पास जाएगा और उनसे पूछेगा कि उनकी उपलब्धि क्या है?
वह व्यक्ति अपने सेवकों के साथ बुद्ध के पास जाता है और उनसे कहता है कि में इस इलाके का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूं और आप अपने आस पास जो भी देख रहे हैं, में वो सब करना जानता हूं। किसी भी कार्य को सीखने में मुझे बहुत ही कम समय लगता है।
सभी लोग मेरा सम्मान करते हैं, परन्तु इस सबके बाद भी मेरे भीतर आपके लिए ईर्षा है। में यह जानना चाहता हूं कि आपकी उपलब्धि क्या है? ये सब लोग आपका आदर सम्मान क्यों कर रहे हैं? उसके बाद बुद्ध कहते हैं कि वैसे तो मेरी कोई उपलब्धी नहीं है, परन्तु तुम कह सकते हो कि मेरी एक उपलब्धी है।
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वह व्यक्ति पूछता है कि क्या में जान सकता हूं ? तो फिर उसके बुद्ध कहते है कि मेरी एक उपलब्धी है कि में सभी उपलब्धीयों को छोड़ चुका हूं। वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है कि मतलब में कुछ समझा नहीं। बुद्ध उस व्यक्ति से कहते हैं कि क्या तुम्हे प्रशंसा अच्छी लगती है? वह व्यक्ति कहता है कि प्रशंसा तो सभी को अच्छी लगती हैं।
उसके बाद बुद्ध कहते कि क्या तुम्हे निंदा अच्छी लगती है? तो वह व्यक्ति कहता है कि भला इस दुनिया में कौन है जिसे अपनी निंदा अच्छी लगे? उसके बाद बुद्ध कहते है कि जो तुम्हे अच्छा लगता है और जो तुम्हे बुरा लगता है, में इन दोनों से भी ऊपर उठ चुका हूं। ना मुझे निंदा सताती है और नाही मुझे अपनी प्रशंसा प्रसन्न करती हैं।
बस यही अंतर है तुम में और मुझ में, और उसके बाद वह व्यक्ति बुद्ध से कहता है कि परन्तु यह कैसे संभव है? बुद्ध मुस्कुराते हैं और उस व्यक्ति से कहते है कि तुमने सैकड़ों काम सीखे लेकिन एक सबसे जरूरी काम को तुम सीखना भूल गए। वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है कि कौन सा काम बुद्ध?
बुद्ध कहते हैं कि अपने मन को नियंत्रण करना, क्या तुम्हे आता है? बुद्ध की वह बात सुन वह व्यक्ति समझ जाता है कि ईर्षा का यही कारण था। उसके बाद बुद्ध कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने सारा जगत को जीत लिया लेकिन अपने मन को नहीं जीता, उसने कुछ भी नहीं जीता और जिसने अपने मन को जीता परन्तु अपना सब कुछ गव्हा दिया फिर भी उसने सब कुछ जीत लिया।
क्यूंकि वास्तव में बुद्धिमान व्यक्ति वहीं है जो अपने मन का शासक है, वो नहीं जो अपने मन का गुलाम है।
गौतम बुद्ध के इन शब्दों को सुन उस व्यक्ति का अहंकार टूट जाता है और वह व्यक्ति बुद्ध से कहता है की क्या आप मुझे अपने मन को जितना सीखा सकते हैं? बुद्ध कहते है कि अवश्य सिखाएंगे, परन्तु में तुम्हारी सभी उपलब्धियां छीन लूंगा। फिर उसके बाद वह व्यक्ति बुद्ध से कहता है कि में तैयार हूं।
उस दिन से वह व्यक्ति ध्यान करना शुरू कर देता है, क्यूंकि ध्यान ही वह तरीका है, जिससे आप अपने मन को अपने वश में कर सकते हैं। दोस्तो अगर आप ध्यान क्या है और ध्यान कैसे करें और उसके अनगिनत फायदों के बारे में जानना चाहते हैं? तो आप नीचे दिए गए आर्टिकल्स को जरूर पढ़िए।
Conclusion of Buddhiman Kaise Bane in Hindi
दोस्तों आज आपने बुद्धिमान कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं? हिंदी आर्टिकल से सिखा की वास्तव में बुद्धिमान व्यक्ति वहीं है जो अपने मन का शासक है, वो नहीं जो अपने मन का गुलाम है। अगर आपको हमारे द्वारा लिखा हुआ बुद्ध से जाने बुद्धिमान कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं? यह आर्टिकल पसंद आया होंगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा तो अपने दोस्तो के साथ इस आर्टिकल को अवश्य शेयर कीजिए।
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