बुद्ध से जाने अपने मन को कैसे नियंत्रित करें | How to Control Your Mind in Hindi
नमस्कार मेरे भाइयों और बहनों आप सभी का नॉलेज ग्रो हिंदी ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो अगर आप अपने मन को कैसे नियंत्रित करें? इस बारे में जानकारी जानना चाहते हैं, तो आप सही जगह पर आए हुए हैं। अगर आप इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ते हैं, तो आपको समझ आ जायेगा की मन क्या है, अपने मन को कैसे समझें और अपने मन को काबू में कैसे करें?
दोस्तो इस आर्टिकल में हम आपके साथ जानकारी दो तरह से शेयर करेंगे, पहला तरीका है, कहानियों के द्वारा और दूसरा तरीका है प्रक्टिकल। में आपको इन दोनो तरीको से समझाने का प्रयास करूंगा की अपने मन को कंट्रोल कैसे करें? तो बिना समय को गवाए चलिए जानते हैं कि अपने मन को अपना सेवक कैसे बनाए।
How to Control Your Mind in Hindi | अपने मन को कंट्रोल कैसे करें?
दोस्तो इस आर्टिकल में आप जानेंगे की अपने मन को समझने और उसे रूपांतरित करने के 6 महत्वपूर्ण चरण क्या है? तो सबसे पहले जानते हैं की अपने मन को कैसे समझे?
गौतम बुद्ध से जाने अपने मन को कैसे समझें | How to Understand Your Mind in Mindi
दोस्तो एक बार एक व्यक्ति बुद्ध के पास आता है और उनसे पूछता है की बुद्ध अपने मन को काबू में करने और उसे समझने का पहला चरण क्या है और हम कहा से शुरवात करे? की हमारा मन हमारे वश में आ जाए। बुद्ध मुस्कुराते हैं और उसका उत्तर देते की अपने मन को समझने का पहला चरण है, इसके द्वारा दिए गए लालचो की व्यर्थता को देख लेना।
जिस इंसान ने अपने मन के द्वारा दिए गए लालचो की व्यर्थता को देख लिया, उसने इससे मुक्त होना शुरू कर दिया। और उसके बाद वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की हमारा मन जो हमे लालच देता है उसके व्यर्थता को कैसे देखा जाए? बुद्ध कहते है अपने अनुभव से!!!
मनुष्य जिस भी गलत कार्य को अति में करता है, उससे उसे दुख मिलता है और यही दुख उसका अनुभव है। और यही अनुभव उसके रूपांतरण का कारण बन सकता है। जिसने देख लिया और वास्तव में देख लिया की नशा करना केवल दुख है, उसने नशे से मुक्त होना शुरू कर दिया।
जिसने देख लिया की ईर्षा केवल खुद को जलाती है, और वास्तव में देख लिया उसने ईर्षा से मुक्त होना शुरू कर दिया। तुम्हारा यह देख लेना की मन लालच तो हमेशा तुम्हें तृप्ति का देता है, लेकिन लगता यह तुम्हे सदैव अतृप्त है। और यही अपने मन को समझने का पहला चरण है।
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको इस एक प्रश्न को समझना आवश्यक है और वो प्रश्न है, कि आप अपने मन को वश में करना क्यों चाहते हैं? क्योंकि आपने यह अनुभव कर रखा है की आपका मन आपको दुख देता है, पर क्योंकि आपको आपके मन के लालच बहुत बड़े सुहावने लगते हैं, इसीलिए आप इन लालचो के पीछे छुपे हुए दुखो को नहीं देख पाते।
सिर्फ अपने दुखो को देख लेने से आपका मन आपके वश में नहीं हो जायेगा, उसके लिए आपको दूसरा चरण क्या है यह समझना होगा। वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है कि बुद्ध यदि कोई व्यक्ति यह जानता है की उसके मन के लालचो के कारण उसके जीवन में दुख है, तो क्या इसका अर्थ यह है की वो व्यक्ति पहले चरण पर है? और यदि वह व्यक्ति पहले चरण पर है तो दूसरे चरण पर कैसे जाएगा?
बुद्ध कहते है की उस व्यक्ति को खोज पर निकलना होंगा, किसी ऐसे व्यक्ति की खोज पर जो अपने मन से मुक्त हो चुका है और जिसने अपने मन को जान लिया हैं। क्योंकि तुम्हारा मार्गदर्शन वही कर सकता है, जो उस जगह पर पहुंचा हुआ है, और जहा तुम जाना चाहते हो।
दोस्तो यहां पर एक बात समझनी आवश्यक है की खोज पर निकलने का अर्थ यह नहीं है की आप संन्यासी बन जाए, बल्कि खोज पर निकलने का अर्थ यह है की कोई ऐसा व्यक्ति खोजना जो आपका मार्गदर्शन कर सके। अब यहां पर प्रश्न यह उठता है की ऐसे व्यक्ति को कहा पर खोजें? क्योंकि आस पड़ोस में तो सभी लोग अशांत भरे पड़े हुए हैं।
तो इस प्रश्न का उत्तर है की आप ऐसे व्यक्ति को आस पड़ोस में मत खोजिए बल्कि इंटरनेट पर खोजिए, क्योंकि इंटरनेट आपको पूरी दुनिया से जोड़ता है, दोस्तो में और आप इस इंटरनेट के बदौलत ही जुड़े हुए हैं, अगर इंटरनेट नही होता तो क्या आप मेरे इस आर्टिकल को पढ़ पाते? नही ना!!!
दोस्तो इस दुनिया में बहुत सारे लोग थे और अभी है और हमेशा रहेंगे, जो आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं। कहानी में वापस लौटते हैं और अच्छे से जानते है की अपने मन को समझने का दूसरा चरण क्या है?
वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की उस व्यक्ति की पहचान क्या है? जिसने अपने मन को समझ लिया है और जिसने खुद को जान लिया हुआ है! क्योंकि हर व्यक्ति यह दावा करता है की वह ज्ञानी और बुद्धिमान हैं? लेकिन वास्तव में ज्ञानी कौन हैं वह कैसे पता लगेगा।
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बुद्ध कहते हैं की यही तीसरा चरण है और वो चरण है सुनकर! सुनना ही अपने मन को समझने का तीसरा चरण है। उसके बाद वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की क्या देखकर यह पता नहीं किया जा सकता, क्योंकि आपको देखकर ही पता लगता है की आप एक महात्मा है।
बुद्ध कहते है की देखने में तो कोई व्यक्ति बहुत शांत लग सकता है, लेकिन भीतर से वह क्या है, यह उसके शब्द ही बता सकते है। लेकिन ध्यान रहे की शब्दो पर भी विश्वास एक दम से नही कर लेना है। किसी भी बात पर विश्वास इसीलिए कर लेना है की उसे मैंने कहा हुआ है, या किसी महात्मा ने कहा हुआ है।
किसी भी बात पर विश्वास आपको तब कर लेना है, जब वह तुम्हारा अनुभव बन जाए। गौतम बुद्ध के द्वारा कही गई इस बात को में आपको थोड़ा और आसान भाषा में समझाने की कोशिश करता हूं। दोस्तो कोई कहता है कि ध्यान करना अच्छा है और कोई कहता है की ध्यान करना बुरा है। ये दोनो ही अतिया है।
अगर आप अभी ध्यान को अच्छा मानते हैं तो आप बहुत जल्द ही उसे बुरा मानने लग जायेंगे, और यही हमारे मन की चाल है। तो अब आपके मन में सवाल उठा होगा की कैसे? तो उसका उत्तर यह है की ध्यान की शुरवात में आपको आनंद नही मिलेगा बल्कि बोरियत महसूस होगी। और आपका विश्वास क्या था की ध्यान अच्छा है, लेकिन आपको अनुभव क्या हो रहा है की ध्यान बोरियत भरा है।
How to Control Your Mind in Hindi | अपने मन को कंट्रोल कैसे करें?
तो धीरे धीरे आपका विश्वास बदलने लगेगा, पहले आप ध्यान को अच्छा मानते थे, लेकिन अब आप ध्यान को बुरा मानने लग जायेंगे। आप एक अति से दूसरे अति पर पहुंच जायेंगे और यही हमारे मन की चाल है। हमारा मन हमे अतियो में ही भटकाता रहता है। और अगर आप ध्यान को बुरा मानते हैं, तो आप कभी भी ध्यान करेंगे ही नही।
अब कहानी में वापस लौटते हैं और अच्छे से समझते हैं की अपने मन को समझने का तीसरा चरण क्या है? बुद्ध कहते हैं की किसी भी बात पर विश्वास तब तक नही करना है, जब तक वह तुम्हारे विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतर जाए। और इसके लिए कर्म करना आवश्यक है। और कर्म ही अपने मन को समझने का चौथा चरण है।
अगर आप धन कमाना चाहते हैं, तो आपको सही दिशा में कर्म करना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार अगर आप खुद को जानना चाहते है? तो आपको सही दिशा में कर्म करना आवश्यक है।
वह आदमी बुद्ध से पूछता है कि सही दिशा में कर्म करते वक्त आदमी क्या गलती कर सकता है? बुद्ध कहते है की केवल दो गलतियां कर सकता है. पहली गलती है शुरुवात ना करना और दूसरी गलती है पूरा रास्ता तय न करना। और इन दोनों गलतियों के पीछे हमारे मन की चाल होती हैं।
कोई सोचता है की में शुरुवात कल से करूंगा और कोई सोचता है की शायद में सफल न हो पाऊं। इन दोनों ही गलतियों को व्यक्ति जागरूकता की कमी के कारण करता है। बिना जागरूकता के व्यक्ति का मन उसे सही दिशा में चलने ही नही दे सकता। और जागरूकता ही अपने मन को समझने का पांचवा चरण है।
इसीलिए दिन के हर एक क्षण को जागरूकता के साथ जिओ, कोई भी कार्य करो तो उसे जागरूकता के साथ करो। अगर सांसे भी लो तो उसे जागरूकता के साथ लो। बिना जागरूकता के साथ जिया गया एक भी क्षण मृत्यु के समान है। और ध्यान रहे की जागरूकता बिना ध्यान के संभव नहीं है।
वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की बुद्ध अपने जागरूकता के स्तर को कैसे बढ़ाया जा सकता है? बुद्ध कहते हैं की ध्यान के द्वारा और ध्यान ही 6 चरण है। एक बार आप अपने मन को समझने के 6 चरणों को ध्यान से समझिए।
अपने मन को समझने के 6 चरण
- थोड़ी जागरूकता के साथ यह देख लेना की यह मन ही दुख के बीज बोता है।
- किसी ऐसे व्यक्ति को खोजना जो मन से मुक्ति पाने का मार्ग बता सके।
- सुनना
- सुने हुए को कार्य में लाना।
- जागरूकता, जिससे आप मार्ग से भटके ना
- ध्यान
यदि सीधे शब्दो में कहा जाए तो ध्यान ही वह नाव है, जिस पर बैठकर मन रूपी नदी को पार किया जा सकता है। लेकिन ध्यान तक पहुंचने के लिए शुरुवाती के 5 चरण बहुत आवश्यक है। अभी आप कौन से चरण पर है, हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कॉमेंट करेंगे जरूर बताएं।
क्योंकि दोस्तो हर ज्ञानी इन 6 चरणों से गुजरता ही गुजरता है। दोस्तो अब जानते हैं की अपने मन को अपना सेवक कैसे बनाए एक सच्ची कहानी से तो चलिए कहानी को शुरू करते हैं…
अपने मन को अपना सेवक कैसे बनाए – अपने मन को वश में कैसे करें
दोस्तो इस कहानी में अगर आप ध्यान से पढ़ते हैं, तो आपको नीचे दिए हुए 2 प्रश्नों का उत्तर मिल जायेंगे और वो 2 प्रश्न है..
- हम अपने मन के गुलाम क्यों बन गए हैं?
- हम अपने मन को अपना गुलाम कैसे बना सकते हैं?
आपके पहले प्रश्न का उत्तर नीचे दी गई यह लाइफ चेंजिंग कहानी में है, इसलिए नीचे दी हुई कहानी को अंत तक जरूर पढ़िए।
एक बार एक राज दरबार में एक कलाकार आता है, और इस कलाकार की खासियत यह थी की जब भी यह कलाकार अपनी कलाकारी दिखाता तो ऐसा कोई भी व्यक्ति नही होता था, जो इसके कलाकारी को देखकर हंसे ना।
बड़े बड़े राजा महाराजा इस कलाकार की कलाकारी को देख हंसते हंसते लौट पौट हो जाते थे। लेकिन इस बार वह कलाकार एक गंभीर राजा के दरबार में था, इसीलिए लोगो को यह संदेह था की कही वो इस बार असफल न हो जाएं। वह कलाकार अपनी कलाकारी दिखानी शुरू करता है। और वही होता है जो हर बार से होता आ रहा था।
राजा का हंसते हंसते बुरा हाल हो जाता है। वह राजा उस कलाकार को कलाकारी देख इतना प्रसन्न होता है की, वो इस कलाकार को मोह मांगा इनाम देने के लिए तैयार हो जाता है। हमे यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए की अधिक खुशी में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।
राजा उस कलाकार से कहता है की मांगों जो भी तुम मांगना चाहते हो! में तुम्हारी कलाकारी से बहुत प्रसन्न हु। वह कलाकार कहता है की क्षमा करें राजन पर में जो भी मांगूंगा शायद आप वो दे न पाए। राजा अपने आसन से खड़ा होता है और कहता है की अब तुम मेरी प्रसन्नता को क्रोध में बदल रहे हो।
क्या तुम्हे मेरी द्वारा कही गई बात पर संदेह है? अब राजा अपने अहंकार को बीच में ले आता है। और जहा भी अहंकार बीच में आ जाता है, वहा काम बिगड़ना निश्चित है। फिर वो कलाकार राजा से कहता है की नही नही राजन मुझे क्षमा करें। मेरे बोलने का मतलब यह नहीं था, बल्कि में तो बस ये कहना चाहता था कि आप इस बात को फिर से एक बार दोहरा दे।
फिर उसके बाद राजा कहता है की में तुझे वचन देता हूं की जो भी तू हद में रहकर मांगेगा वह तुझे जरूर मिलेगा। उसके बाद वह कलाकार कहता है की तो ठीक है, आप मुझे 24 घंटों के लिए आपके राज्य का राजा बना दीजिए। उस कलाकार की बात सुन राजा मन ही मन सोचता है की अच्छा है मैने इसे हद में रहकर मांगने को कहा था।
वरना ये तो हमेशा के लिए राजा बनता। वैसे तो 24 घंटे कोई बड़ी बात नहीं है, और उसके बाद राजा सोच समझ कर उस कलाकार से कहता है कि ठीक है, अगले 24 घंटे केलिए में तुम्हे राजा घोषित करता हूं। राजा बनने के 1 घंटे के अंदर ही वह कलाकार जो की अब राजा बन चुका था, वह पुराने राजा को फांसी पर चढ़ा देता है।
और दूसरे घंटे में वह पुराने राजा के सभी भरोसे मंद लोगो को हटाकर अपने भरोसे मंद लोगो को रख लेता है। आप में से बहुत सारे लोग उस राजा को मूर्ख समझ रहे होंगे, परन्तु में आपको बताना चाहता हूं की वह राजा कोई और नहीं बल्कि आप है और वह कलाकार आपका मन है।
आपका मन आपको थोड़ी सी खुशी क्या दे देता है, की आप उसके पीछे पीछे हो लेते हैं। जो वही कहता है, वही आप करते हैं और बाद में आपके हाथ में केवल पछतावा ही लग जाता है। किसी भी चीज का मजा लेना समस्या नही है, बल्कि इस मजे में ही दूब कर अपनी सूदभूद खो देना समस्या है। अब दूसरे प्रश्न का उत्तर समझिए।
हम अपने मन को काबू में कैसे करें – अपने मन को कैसे नियंत्रित करें?
दोस्तो हमारा मन हमसे सिर्फ बुरे काम ही नहीं करवाता बल्कि यह आपसे अच्छे काम भी करवाता है। में आपको एक उदाहरण देकर समझाता हूं, जब आप ईर्षा का सहारा लेते हैं, तब आपका मन बुरे काम करता है और जब आप क्रोध का सहारा लेते हैं, तब आपका मन बुरे काम करता है।
जब आप मोह, अहंकार और लालच जैसे बुरी चीजों का सहारा लेते हैं, तब आपका मन आपसे बुरे काम करवाता है। और जब आप प्रेम, दया और कृतज्ञता जैसी अच्छी भावनाओ का सहारा लेते हैं, तब आपका मन अच्छे काम करता है। इसलिए समस्या मन नही है, बल्कि मन का इस्तमाल किस तरह से किया जा रहा है, यह समस्या है।
गौतम बुद्ध ने जागरूकता को इतना महत्वपूर्ण इसलिए बताया हुआ है, क्योंकि जागरूकता के द्वारा ही अपने मन को नियंत्रित कर सकते है। मन को नियंत्रित करने का मतलब यह नहीं है की आपके मन में नेगेटिव विचार आने ही बंद हो जाए। मन को नियंत्रित करने का सही मतलब यह है की आपका कोई भी विचार आपको विचलित ना कर पाए।
विचलित होने का अर्थ सिर्फ परेशान होना नही है बल्कि खुश होना भी होता है। बहुत ज्यादा खुश होना समस्या नही है, परन्तु उस खुशी में कोई निर्णय लेना समस्या है। उदाहरण. किसी से कोई वादा कर देना। ठीक उसी प्रकार बहुत ज्यादा दुख होना समस्या नही है बल्कि इस दुख के कारण कोई निर्णय लेना समस्या है। उदाहरण – आत्महत्या करना।
अगर आप पूरे जागरूकता के साथ यह देख पाए की सुख और दुख इन दोनो की अति में कोई भी निर्णय लेना दुख और पीड़ा को जन्म देता है, तो आप आंख बंद करके सुख के पीछे नहीं भागेंगे। और अगर आप सुख के पीछे नहीं भागेंगे, तो दुख आपके पीछे नहीं भागेगा। क्योंकि ज्यादा तर लोग जिसे सुख समझते हैं, वह दुख की परछाई है।
अब लोग इस बात का यह अर्थ निकाल लेंगे की हमे सुख का आनंद नही लेना चाहिए, जब की यह निष्कर्ष बिलकुल गलत है। अगर आप सुख और दुख इन दोनों की अति में कोई निष्कर्ष नही निकालते हैं, तो आप वही रहते हैं, जहा आपको रहना चाहिए। मध्य बिंदु पर, जिसकी बात हर बार बुद्ध कहते है।
में आपको मन के बारे में एक खास बात बताता हूं… आपको ऐसा कब लगता है की आपको अपने मन को वश में करना चाहिए? में आपको बताता हूं, जब आप वो काम कर रहे होते हैं, जो काम करना आपके लिए सही नही होता है, तब आपको मेहसूस होता है की आपको अपने मन को अपने वश में करना चाहिए।
मगर आप वो काम फिर भी करे जाते है, क्योंकि आपको उस काम को करने में मज़ा आता है। उदाहरण के लिए चुकली करना : आपको पता है की चुकली करने से आपको कुछ भी फायदा नही होगा फिर भी आप चुगली करते हैं, क्योंकि चुगली करने में शुरुवात में मज्जा आता है। परन्तु धीरे धीरे ही आपको पता चलता है की आप अपने ही नजरो में छोटे बन गए हो।
दोस्तो गौतम बुद्ध के द्वारा दिया गया यह सूत्र में आपको आज बताता हु, जो आपकी जिंदगी बदल सकता है। और वो सूत्र है जिन कामों को करने में शुरुआती में बहुत मजा आए, तो वह काम आपके लिए हानिकारक है। उदाहरण के तौर पर : फनी और गंदे विडियो देखना, वेब सीरीज, जंग फूड खाना और सुबह देर से उठाना इत्यादि…
और जिन कामों को शुरुवाती में करने में कम मज्जा आता है या बोरियत महसूस होती है, वो काम आपका जीवन बदल सकता है। उदाहरण के लिए किताबे पढ़ना, व्यायाम करना, सुबह जल्दी उठना, ध्यान करना और इंटरनेट का सही इस्तमाल करना इत्यादि…
हमे यह समझना चाहिए कि हमारा मन केवल बुरे कामों में ही नही लगता, बल्कि यह अच्छे कामों में भी लगता है। फर्क सिर्फ इतना है की बुरे कामों में यह जल्दी लग जाता है क्योंकि बुरे काम करते वक्त शुरुवाती में ही मजा होता है, और अच्छे कामों में यह देर से लगता है क्योंकि अच्छे कामों में मजा देर से मिलता है।
इसलिए मजे के पीछे न भागें और बल्कि सही काम के पीछे भागे, सफलता आपको निश्चित मिलेगी। दोस्तो अब में आपको अपने मन को कंट्रोल करने का प्रैक्टिकल तरीका क्या है। यह बताने वाला हू, इसीलिए आर्टिकल को ध्यान से अंत तक अवश्य पढ़िए।
दिमाग को कंट्रोल कैसे करें? जानिए मन को कंट्रोल करने का प्रैक्टिकल तरीका
दोस्तो ज्यादातर लोग यह सोचते हैं की मन को कंट्रोल करना मुश्किल है, और यह बात सच है केवल उन लोगों के लिए जिन्हे यह पता नही है की मन क्या है और यह कैसे कार्य करता है? जो लोग जानते है की मन क्या है और यह कैसे कार्य करता है? उनके लिए अपने मन को कैसे नियंत्रित करना आसान है। तो आइए सबसे पहले यह समझते हैं की मन क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
मन क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
हमारा मन दो हिस्सो मे बटा हुआ है। पहला चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन। चेतन मन को हम सब बुद्धि के नाम से जानते है। यह हमारे भीतर एक फिल्टर की तरह काम करता है। जो भी जानकारी हमारे अंदर जाती है, उसे यह जाजता और परखता है।
चेतन मन के पास तर्क करने की क्षमता है और यह सही और गलत के बीच चुनाव कर सकता है। परन्तु अवचेतन मन ऐसा नहीं है, उसका कार्य अलग है। हमारा अवचेतन मन सही और गलत के बीच चुनाव नही कर सकता है।
जो भी जानकारी चेतन मन सही मानकर अवचेतन मन में भेज देता है, वह उसका विरोध नही करता है। चाहे वह जानकारी गलत ही क्यों न हो। एक उदाहरण देकर समझाता हूं.. मान लीजिए कोई व्यक्ति आपको कमजोर कहता है, मगर आप कमजोर नही है, तो आपका चेतन मन उस व्यक्ति की बातो का विरोध करेगा।
मगर जब वह व्यक्ति उसी बात को आपसे बार बार कहेगा और उसी के साथ ही अन्य लोग भी उसी बात को बार बार कहेंगे, तो आपका चेतन मन इस बात को सच मान लेगा, और आपके अवचेतन मन में भेज देगा। और अवचेतन मन का काम है, जो बात उसके भीतर चली गई है, उसे सच साबित करना।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जब हम छोटे हुआ करते थे, उस समय हमारे भीतर बहुत आत्मविश्वास था। परन्तु जैसे जैसे हम बड़े होते गए, हमारा आत्म विश्वास कम होता गया। क्योंकि हमारे स्कूल और कॉलेजस से और समाज से बार बार नकारात्मक बाते सुनने को मिली। और हमारा अवचेतन मन उन्हे सच मान बैठा।
हो सकता है की आपने इस बात पर ध्यान दिया हो की आप गलत करना तो नही चाहते , परन्तु फिर भी गलत करते हैं। आप डरना तो नही चाहते लेकिन डर जाते हैं। ऐसा क्यों होता है, क्या आप जानना चाहते हैं? तो आर्टिकल के अंत तक बने रहे।
दोस्तो ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि जाने अंजाने में आपके अवचेतन मन में बहुत सारी गलत जानकारी चली गई हुई है, जिसे वह सच मन बैठा हुआ है। तो अब प्रश्न यह उठता है की इसका समाधान क्या है? क्योंकि बहुत सारी गलत जानकारी हमारे भीतर जा चुकी है। और हमारा आत्म विश्वास कम हो चुका है।
अब आप इसका समाधान समझिए अब तक आपने यह समझा की मन क्या है और यह कैसे काम करता है? अगर एक लाइन में कहु की मन क्या है तो हमारा मन जानकारी का एक ढेर है, जो जाने अंजाने में हमारे भीतर चली गई हुई है। अब हमे सबसे पहले यह समझना होगा की चेतन मन जानकारी लेता कहा से है? वे कौन से द्वार है जहा से जानकारी भीतर प्रवेश करती है।
अपने मन को कंट्रोल करने के उपाय और समाधान
हमारे अंदर जानकारी जाने के 5 द्वार है और वो है आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा इन्हे हम पांच इंद्रियो से भी जानते है। बहुत सारी गलत जानकारी हमेरा भीतर जाने के कारण हमारा मन हमारे वश में नहीं है। अगर हम अपने मन को अपने वश में करना चाहते हैं, तो हमे बहुत सारी सही जानकारी इस मन को देनी होगी।
कम से कम उतनी सही जानकारी जितनी गलत जानकारी हमारे भीतर पहले से पड़ी हुई है। सही जानकारी और गलत जानकारी के बीच का अंतर समझिए। सही जानकारी वो है, जो आपको आपके लक्ष्य की तरफ ले जाए। और गलत जानकारी वो है जो आपको आपके लक्ष्य से भटकाए।
उदाहरण से समझिए की एक संन्यासी का लक्ष्य आत्म ज्ञान है और आत्मज्ञान के लिए ध्यान करना आवश्यक है। अगर कोई चीज उसे ध्यान करने से रोकती है, तो वह उसके लिए एक गलत जानकारी है। एक और उदाहरण देकर समझाता हूं।
मान लीजिए की आपको एक गायक बनना है तो गायक बनने के लिए रियाज करना बहुत जरूरी है। अगर कोई चीज आपको रियाज करने से रोक रही है, तो वह आपके लिए एक गलत जानकारी है। तो अपने मन को कंट्रोल करने के लिए आपके पास एक लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है।
क्योंकि अगर आप अपने मन को कही पर जाने से रोक दोगे तो, उसे कही पर तो भेजना भी तो पड़ेगा। अगर आपके पास लक्ष्य है, तो आपको सबसे पहले क्या करना है, यह ध्यान से समझ लीजिए। सबसे पहले इस चिंता को छोड़ दीजिए कि कितनी गलत जानकारी आपके भीतर जा चुकी है।
आपको बस इतना करना है की आपके पांच द्वारो पर यानी की जहा से जानकारी भीतर प्रवेश करती हैं, वहा पर जागरूकता का पहरा लगा देना है। कोई भी जानकारी आपके भीतर अनजाने में प्रवेश ना करे। पहरा लगते ही आपको बैलेंस में जुट जाना है।
अब आप यह सोच रहे होंगे की बैलेंस किस चीज का? बैलेंस आपको नकारात्मकता और सकारात्मकता के बीच में करना है। नकारात्मकता आपके भीतर पहले से ही मौजूद है, अब बस आपको सकारात्मकता को भरनी है। आपको एक बात जान लेनी चाहिए की सकारात्मकता नकारात्मकता को मिटा देती है।
जिस प्रकार रोशनी अंधेरे को मिटा देती हैं, ये तो बस कहने की बात है की आपको बैलेंस करना है। सच तो यह है की जब आप अपने भीतर सकारात्मकता भरने लगेंगे तो आपके अंदर की नकारात्मकता उसी समय मिटने लग जायेगी। दोनो के बीच का बैलेंस होने का तो अवसर ही नही आयेगा।
यहां पर प्रश्न यह निर्माण होता है की सकारात्मकता को कहा से लाए? तो इसके बहुत सारे तरीके है। पहला तरीका यह है की आप अच्छे लोगो को संगत करिए और उन्हें ऑब्जर्व करके उनसे सीख सकते हैं। अब ये सही लोग आपके पास हो सकते हैं या नहीं भी। आप इंटरनेट, बुक्स और विडियोज के द्वारा इनकी संगत कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए अगर आप बुद्ध की संगत करना चाहते हैं, तो आप उनके ऊपर लिखी हुई किताबो को पढ़कर और ऑडियो टेप सुनकर उन्हें समझ सकते है। ध्यान रहे हमेशा ऐसी चीजे पढ़े, सुने और देखे जो आपकी लक्ष्य से जुड़ी हुई हो। जब आप लगा तार अपने भीतर अपने लक्ष्य से जुड़ी अच्छी जानकारी भेजते हैं, तो आपके अंदर की नकारात्मक जानकारी को धोकर साफ करती है।
अभी हमारा मन गलत जानकारी में उलझा हुआ है, जो अंजाने में हमारे भीतर चली गई हुई है, जिसके कारण हम अकसर कहते है की हमारा मन हमारे वश में नहीं है और हमारा मन किसी भी काम में नही लगता है।
हमे यह समझना चाहिए की मन हमारा है, हम मन के नही है। वही सुनो जो आपके लक्ष्य से जुड़ा हुआ है, वही देखो जो आपके लक्ष्य से जुड़ा हुआ है और वही पढ़ो जो आपके लक्ष्य से जुड़ा हुआ है। वही चको जो आपके लक्ष्य से जुड़ा हुआ है।
में आपको एक उदाहरण देकर समझाता हूं: अगर आपका लक्ष्य खिलाड़ी बनना है, तो आपको वही चीजे खानी चाहिए, जो आपको खिलाड़ी बनाए। मन पर नियंत्रण रखने के लिए इंद्रियो पर सयंम आवश्यक है और सयंम के लिए अनुशासन आवश्यक है और अनुशासन के लिए एक सही निर्णय आवश्यक है। जो आपको अभी लेना है।
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Conclusion of How to Control Your Mind in Hindi
दोस्तो आज के इस How to Control Your Mind in Hindi आर्टिकल के माध्यम से आपने सीखा की हमारा मन क्या है, अपने मन को कैसे समझे और अपने मन को अपना सेवक कैसे बनाए. अगर आपको हमारे द्वारा लिखा हुआ यह आर्टिकल पसंद आया होंगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा तो अपने सच्चे दोस्त के साथ इसे अवश्य शेयर कीजिए।
दोस्तो हमारे साथ ऐसे ही जुड़े रहने के लिए आप हमारे नॉलेज ग्रो टेलीग्राम चैनल और इंस्टाग्राम पेज को अवश्य फॉलो कीजिए। दोस्तो आज इस How to Control Your Mind in Hindi आर्टिकल में सिर्फ इतना ही फिर मिलेंगे ऐसे ही एक लाइफ चेंजिंग आर्टिकल्स के साथ तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद!!!
best
जय सियाराम जी