Knowledge GrowKnowledge Grow
  • Biographies
  • Book Summaries
    • Motivational Summaries
    • Self Help Summaries
    • Financial Summaries
    • Spiritual Summaries
  • Motivational Stories
  • Motivational Quotes
  • About Us & More
    • About Us
    • Content Us
    • Privacy Policy
    • DMCA
    • Disclaimer
    • Terms and Conditions
Knowledge GrowKnowledge Grow
  • Biographies
  • Book Summaries
    • Motivational Summaries
    • Self Help Summaries
    • Financial Summaries
    • Spiritual Summaries
  • Motivational Stories
  • Motivational Quotes
  • About Us & More
    • About Us
    • Content Us
    • Privacy Policy
    • DMCA
    • Disclaimer
    • Terms and Conditions
Follow US
Knowledge Grow > Life Changing Gautam Buddha Stories in Hindi > Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi – With Hindi Pdf Download

Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi – With Hindi Pdf Download

Last updated: 31/05/23
By shridaskadam
Share
35 Min Read
SHARE

Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi | गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी में

नमस्कार दोस्तों आप सभी का नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो आज के इस आर्टिकल के जरिए में आपके साथ गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियाँ हिंदी में शेयर करने वाला हू, जो आपको आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने में बहुत मददगार साबित हो सकती है।

दोस्तो अगर आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते हैं और इस आर्टिकल से आपको जो कुछ भी सीखने को मिलता है, उसे अगर अपने जीवन में implement करते हो, तो आपका जीवन बदल सकता है। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए।

Contents
Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi | गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी मेंगौतम बुद्ध और उंगलीमाल की कहानी – Gautam Buddha Story in Hindiएक माँ और उसके मृतक बच्चे की कहानी – Gautam Buddha Short Story in Hindiगौतम बुद्ध की कहानी से जाने अपने मन को समझने का सूत्र – Gautam Buddha Story in HindiGautam Buddha Stories in Hindi PDF Free Download

Gautam Buddha Stories in Hindi - गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी में

Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi | गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी में

दोस्तो आज के इस पहली कहानी से आपको ये सीखने को मिलने वाला है की जीवन में असंभव कुछ भी नही है और जब जागो तब सवेरा होता है। अगर आपको ये लगता है की मैने बहुत से बुरे काम किए हुए हैं और अब इन गलत कामों को सुधारने के लिए कोई भी विकल्प नहीं है, तो आपको गौतम बुद्ध के जीवन की ये कहानी एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।

गौतम बुद्ध और उंगलीमाल की कहानी – Gautam Buddha Story in Hindi

एक दिन बुद्ध श्रावस्ती के ही एक गांव में भिक्षाटन के लिए पहुंचते हैं। जब बुद्ध गांव में प्रवेश करते हैं, तो देखते हैं कि पूरे गांव में सन्नाटा छाया हुआ है। दूर – दूर तक कोई व्यक्ति नजर नहीं आ रहा था। बुद्ध उस गांव के पहले द्वार पर जाते हैं और कहते हैं , भिक्षाम देही, परंतु भीतर से बाहर कोई नहीं आता।

बुद्ध दूसरे द्वार पर जाते हैं परंतु कोई दरवाजा नही खोलता। बुद्ध तीसरे द्वार पर जाते हैं परंतु उस द्वार से भी कोई व्यक्ति बाहर नहीं आता। फिर अचानक से एक दरवाजा खुलता है, जिसमें से एक व्यक्ति बाहर निकलता है, वो जल्दी से बुद्ध का हाथ पकड़ता और उन्हें अपने घर में ले जाता है और कहता है क्षमा करें, बुद्ध परंतु इस समय आप बाहर नहीं जा सकते।

उंगलीमाल को श्रावस्ती की सीमा पर देखा गया है। सभी गांव वाले डरके मारे अपने अपने घरों की खिड़कियां, दरवाजे बंद करके बैठे हुए हैं। बुद्ध उस व्यक्ति से पूछते हैं कौन है ये उंगलीमाल और उससे इतना भय क्यों है ? वह व्यक्ति कहता है उंगलीमाल एक राक्षस है।

उसे जो भी मनुष्य मिलता है बच्चा, वृद्ध, स्त्री या पुरुष, यहाँ तक कि सन्यासी भी, वो किसी को भी नहीं छोड़ता। महाराज प्रसन्नजीत के सैनिक भी उससे डरते हैं। बुद्ध उस व्यक्ति से पूछते हैं, क्या वो ये सब धन के लालच में करता है?

वो व्यक्ति कहता है नहीं, धन का उसे कोई लालच नहीं है। वो जब भी किसी मनुष्य पर वार करता है, तो उसकी उंगली काटकर अपने गले की माला बनाता है। इसलिए उसका नाम उंगली माल पड़ गया है और यह भी सुना है कि जब उसके गले की माला में सौ उंगलियां पूरी हो जाएंगी, तो उसकी विनाशक शक्तियां और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी।

बुद्ध कहते हैं आभार आपका ! जो आपने मुझे उसके बारे में बताया। फिर वो व्यक्ति बुद्ध से कहता है की कृपाकर आप बाहर न जाइए, क्योंकि वो आप पर भी वार कर सकता है। बुद्ध कहते हैं, भय से अपनी राह छोड़ दो, ऐसा मैंने कभी नहीं किया। मुझे भिक्षा मांगता देख , जन – जन के हृदय में उंगलीमाल का भय कम होगा।

फिर वो व्यक्ति कहता है, नहीं बुद्ध आप मत जाइए , वो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है। बुद्ध कहते हैं, वो खतरनाक नहीं बल्कि दुखी है और मुझे उसके पास जाना होगा क्योंकि उसे मेरी आवश्यकता है। इतना कहकर बुद्ध उस व्यक्ति के पास से चले जाते हैं। कुछ दूर चलने के बाद बुद्ध वन में प्रवेश करते हैं।

वन में चारों ओर एक सन्नाटा छाया होता है। दूर – दूर तक ना तो कोई मनुष्य, और ना ही कोई पशु पक्षी दिख रहा होता है, परंतु बुद्ध अपने मार्ग में आगे बढ़ते रहते हैं। अचानक बुद्ध के सामने उंगलीमाल आकर खड़ा हो जाता है, उसका रूप इतना डरावना होता है कि कोई भी व्यक्ति उसे देखकर ही भयभीत हो जाए।

उसके गले में उंगलियों की माला होती है। चेहरा और हाथ रक्त से सने होते हैं और शरीर बलशाली होता है। उसका रूप इतना भयानक होता है कि किसी भी साधारण व्यक्ति के प्राण तो उसे देखते ही निकल जाए, परंतु बुद्ध पर उंगलीमाल के इस डरावने रूप का कोई भी असर नहीं होता।

  • जरुर पढें: गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी जो आपको बहुत कुछ सिखाएगी।

बुद्ध कुछ क्षण तक एक शांत मुस्कुराहट के साथ उंगलीमाल की तरफ देखते हैं और फिर उसकी बगल से निकल कर अपने मार्ग में आगे बढ़ जाते हैं। बुद्ध को ऐसा करते देख उंगलीमाल को ये समझ नहीं आता कि उसके साथ ये हो क्या रहा है?

वह मन ही मन सोचता है कि मुझे देखकर लोग या तो भाग जाते हैं या मुझे देखकर ही मर जाते हैं या फिर मुझसे अपने प्राणों की भीख मांगने लगते हैं। मैंने कई सन्यासियों को भी मारा है, परंतु मैंने आज तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं देखा, जो मुझे नजरअंदाज करके अपने मार्ग में आगे बढ़ जाए!

या तो इसने मुझ पर ध्यान नहीं दिया होगा या फिर हो सकता है कि यह देख ही ना सकता हो, परंतु मुझे इससे क्या, मुझे तो अपनी उंगलियों की माला पूरी करनी है। उंगलीमाल बुद्ध को आवाज लगाता है ए साधु रुक ! फिर भी बुद्ध उंगलीमाल को नजर अंदाज करते हैं और अपने मार्ग में आगे बढ़ते रहते हैं।

उंगलीमाल और ज्यादा क्रोध में भरकर बुद्ध को आवाज लगाता है , ए साधु रुक! फिर भी बुद्ध उंगलीमाल को फिर से नजर अंदाज करते हैं और अपने मार्ग में आगे बढ़ते हैं। उंगलीमाल, तीसरी बार बहुत ही ज्यादा क्रोध में भरकर आवाज लगाता है, ए साधु रुक ! फिर बुद्ध रुकते हैं।

उंगलीमाल बुद्ध के पास जाता है और कहता है, मेरे आदेश देने के बाद भी तू रुका क्यों नहीं? बुद्ध कहते हैं, मैं तो बहुत पहले ही रुक चुका हूं, तुम ही चलते जा रहे हो। उंगलीमाल ये समझ ही नहीं पाता कि बुद्ध क्या कह रहे हैं, परंतु वो इतना जरूर समझ जाता है कि सामने खड़ा व्यक्ति उससे थोड़ा भी नहीं डर रहा है।

उंगलीमाल बुद्ध को डराने के लिए चिल्लाकर पूछता है , ए साधु तुझे मुझसे भय नहीं लग रहा है क्या? मैं आदिमानव हूं। बुद्ध कहते हैं नहीं, तुम मानव हो। बुद्ध की यह बात उंगलीमाल के हृदय पर लगती है। पहली बार उसे किसी ने मानव कहा था, परंतु वो इस बात को नजर अंदाज करने का प्रयास करता है और बुद्ध से पूछता है,

ए साधु तूने ये क्यों कहा कि तू कब का रुक चुका है, जब कि तू तो चल रहा था और तूने ये क्यों कहा कि मैं नहीं रुका? बुद्ध कहते हैं मैं बहुत पहले ही रुक चुका हूँ यानी मैने ऐसे सारे बुरे कृत्य करना पहले ही छोड़ दिया है, जिससे किसी भी व्यक्ति को कष्ट पहुंच सकते है। सब जीना चाहते हैं, बस तुम उन्हें करुणा से देखने का प्रयास करो।

बुद्ध के ये शब्द दोबारा से उंगलीमाल के हृदय पर चोट करते हैं, परंतु वह दोबारा से बुद्ध की बातों को नजरअंदाज करने का प्रयास करता है। और इस बार वह और क्रोध में भरकर बुद्ध की गर्दन पर अपनी कटारी रख देता है, जिससे वो लोगों की हत्या किया करता था। और बुद्ध से चिल्लाकर कहता है नहीं !

मानव में ना तो प्रेम है और ना ही करुणा है, सिर्फ छल और कपट है, इसलिए मैं सबकी हत्या करुँगा और किसी को जीवित नहीं छोहुँगा। बुद्ध कहते हैं, तुम्हें लोगों ने बहुत दुख दिया है उंगलीमाल, क्रूरता मनुष्य अज्ञान के कारण ही करता है।

ईर्ष्या , द्वेष , मोह माया ये सभी अज्ञान की ही संताने हैं, परंतु वो व्यक्ति ही है जिसमें दया, करुणा, सद्भाव और समझ का उदय भी होता है। उंगलीमाल यदि इस जीवन में क्रूर और निष्ठुर लोग हैं, तो दयावान भी हैं। बस तुम्हें अपनी आंखों से इस अंधेपन की इस पट्टी को हटाना होगा, जो तुम्हें केवल बुराई ही दिखा रही है।

  • जरुर पढ़े: सारी चिंताएं दूर कर देगी भगवान श्री कृष्ण की ये कहानी

तीसरी बार बुद्ध के शब्दों को सुन, उंगलीमाल का खुद पर से संयम हट जाता है। उसे समझ नहीं आता कि पहली बार उसे अपना आपा इतना कमजोर क्यूँ महसूस हो रहा है। वह कोशिश तो करता है, क्रोध करने की , परंतु कर नहीं पाता।

वो बड़ी हिम्मत जुटाकर क्रोधित होने का नाटक कर के बुद्ध से कहता है, तुम और व्यक्तियों जैसे नहीं हो। बुद्ध कहते हैं मैं हर व्यक्ति जैसा ही हूं, बस जागृत हू और यह सिद्ध कर रहा हूं कि हर व्यक्ति में जागने की क्षमता है। मेरा मार्ग क्रूरता को दया में परिवर्तित करता है।

उंगलीमाल तुम अनजाने में घृणा के पथ पर हो, बस इस क्षण रुक जाओ। तुम्हारे भीतर भी ये क्षमता है कि तुम दया और करुणा के पथ पर चल सको। इतना सुनते ही उंगलीमाल के हाथ से कटारी जमीन पर गिर जाती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

  • जरुर पढ़े: बुद्ध से जाने बुद्धिमान कैसे बने और बुद्धिमान किसे कहते हैं?

भला कोई कब तक बुद्ध को अनदेखा करेगा ? उंगली माल रोते हुए बुद्ध से पूछता है , क्या आप वही हैं जिन्हें लोग बुद्ध कहते हैं? जो लोगों को मुक्ति के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। फिर बुद्ध कहते हैं की हां, मैं वही हूं और तुम्हें भी मुक्ति के मार्ग पर ले जाना चाहता हूं।

फिर उंगलीमाल कहता है परंतु मैं अब बहुत दूर निकल गया हूं। मैंने बहुत हत्याएं करी हैं और बहुत पाप करे हैं। मैं अब चाहकर भी वापस नहीं लौट सकता और मेरा वापस लौटना अब असंभव है। बुद्ध कहते हैं असंभव कुछ भी नहीं , जब जागो तभी सवेरा।

उंगलीमाल कहता है मैं अब पुनः जीवन की ओर नहीं मोड़ सकता , बहुत देर हो चुकी है। बुद्ध कहते हैं, तुम में इतनी चेतना है कि तुम जानते हो कि जो तुमने अब तक किया वह बुरा था। इसका अर्थ यह है कि तुम जानते हो कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है?

उंगलीमाल जिस दिन से तुमने अच्छा कार्य करना शुरू कर दिया, उस दिन से तुम्हारा एक नया जीवन शुरू हो जाएगा। फिर उंगलीमाल कहता है, मैं कितने भी अच्छे कार्य क्यों न कर लूं परंतु लोग मुझे उसी दृष्टि से देखेंगे और मुझे चैन से जीने नहीं देंगे।

बुद्ध कहते हैं उंगलीमाल यदि तुमने हिंसा का मार्ग छोड़ा, तो मैं तुम्हें मार्ग दिखाऊंगा और तुम्हारा संरक्षण करुँगा और तुम्हें लोगों की घृणा से बचाऊँगा, बस पहला क़दम तुम्हे ही उठाना होगा। उंगलीमाल पूछता है, क्या ये हो सकता है ? बुद्ध कहते हैं, अवश्य हो सकता है।

तुम में असामान्य बुद्धि है उंगलीमाल तुम परमसत्य के पथ पर बहुत आगे जाओगे। उंगलीमाल रोते हुए बुद्ध के चरणों में गिर पड़ता है और कहता है , मैं आपको वचन देता हूं कि मैं सारे बुरे कृत्य करना छोड़ दूंगा और आपके पीछे करुणा के पथ पर चलना सीखुंगा। कृपाकर आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए।

बुद्ध कहते हैं, मैं किसी को अपना शिष्य नहीं बनाता बल्कि व्यक्ति स्वयं मेरे संघ से जुड़ता है। उंगलीमाल उसी समय बुद्ध का भिक्षु बन जाता है। यहां पर एक बात समझनी जरूरी है कि बुद्ध किसी को भी अपना शिष्य या भिक्षु नहीं मानते थे। जो भी व्यक्ति उनके साथ जुड़ता था, वो उसे केवल मार्ग दिखाते थे और वो उस मार्ग पर चलता था।

भिक्षु और शिष्य शब्द केवल संघ से जुड़ने वाले लोगों की पहचान होती थी। कहानी में आगे बढ़ते हैं, बुद्ध का भिक्षु बनने के बाद उसका नाम अहिंसक पड़ जाता है। फिर बुद्ध ने जैसा उसका नाम रखा था और वो ठीक वैसा ही वह बन चुका था।

दोस्तो आइए जानते हैं कि कैसे उंगलीमाल राक्षस एक अहिंसक बना, इसे जानने के लिए इस आर्टिकल के अंत तक बने रहिए। जब अहिंसक प्रथम बार अन्य भिक्षुओं के साथ एक गांव में भिक्षाटन के लिए जाता है, तो गांव के कुछ लोग उससे बदला लेने के लिए, उसे लाठी डंडों से पीटने लगते हैं।

जब ये बात बुद्ध को पता चलती है, तो वे तुरंत उसे बचाने के लिए उसके पास पहुंचते हैं और अपने शरीर को उन लाठी डंडों के बीच में ले आते हैं, जो अहिंसक को पड़ रहे थे। बुद्ध को देखकर वे गांव वाले डंडे और पत्थर मारना बंद कर देते हैं।

सभी लोग बुद्ध से कहते हैं बुद्ध क्यों आप इस हत्यारे उंगलीमाल की रक्षा कर रहे हैं? न जाने कितने लोगों की जानें ली हुई हैं इसने? बुद्ध कहते हैं, अब यह उंगलीमाल नहीं है, बल्की इसका नाम अब अहिंसक है। अब यह आपकी ही तरह एक मानव है।

वे गांव वाले कहते हैं, ऐसा आदमी कभी नहीं बदल सकता। बुद्ध कहते हैं, यह बदल चुका है। बस आप सब लोग इसे अपनी पुरानी दृष्टि से देख रहे हैं। यदि यह उंगलीमाल होता, तो क्या आप में से किसी में भी इतना साहस या बल होता कि कोई इसे एक उंगली भी लगा सके।

ये आपका हर वार खाता रहा और क्या इसने आप पर कभी पलटकर वार किया? नही ना, क्या ये परिवर्तन आपको नहीं दिखा ? आज इसने अपना लहू बहा से अपने सारे बुरे कृत्य धो डाले हैं। आप लोगों के द्वारा इतनी मार खाने के बाद भी इसकी आंखों में आपके लिए क्रोध नहीं है।

क्या यह बदलाव आपको नहीं दिख रहा है? यह तो बदल गया, परंतु आप कब बदलोगे? इतने में ही उन गांव वालों में से एक स्त्री कहती हैं, यह परिवर्तन मैंने स्वयं देखा है। वो स्त्री गांव वालों से कहती है, आप में से कौन ऐसा है जो दूसरों के दुख में दुखी हो , दूसरों की पीड़ा सहन ना हो, तो उसे हर प्रकार की सहायता प्रदान करे और ऐसा इस भिक्षु ने किया है।

दो दिन पहले एक व्यापारी अपनी पत्नी को लेकर जा रहा था और उसकी पत्नी प्रसव पीड़ा से व्याकुल थी। तब मैं पास से ही गुजर रही थी, इसलिए मैं भी दौड़ी दौड़ी गई। उस स्त्री की पीड़ा बढ़ती ही जा रही थी। घना जंगल होने के कारण उसे कहीं ले जाया भी नहीं जा सकता था।

  • जरुर पढ़े: सारी चिंताएं दूर कर देगी भगवान श्री कृष्ण की ये कहानी

तभी यह भिक्षु वहां आ पहुंचा और इसने मुझसे पूछा कि क्या हुआ बहन ? मैंने इसे बताया कि यह स्त्री प्रसव पीड़ा में है और इस घने वन में हम कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं। कब तक यह कष्ट भोगेगी , कहीं इसके और इसके बच्चे के प्राण ना चले जाएं।

फिर इस भिक्षु ने मुझसे कहा कि ऐसा नहीं होगा, मैं अभी अपने गुरु के पास जाऊंगा, वे अवश्य ही कोई मार्ग दिखाएंगे। इतना कहकर ये भिक्षु दौड़कर वहां से चला गया। बुद्ध कहते हैं की फिर व्यथित हो अहिंसक मेरे समक्ष आया।

और मेरे पैरों में गिरकर मुझसे कहने लगा बुद्ध एक स्त्री गहन प्रसव पीड़ा में है और उसकी पीड़ा बढ़ती ही जा रही है , कहीं मां और बच्चे को कुछ हो न जाए। ये सब सुनकर बुद्ध ने कहा की दौड़कर जाओ और उससे कहो बहन जिस दिन से मेरा जन्म हुआ है, मैंने जान बूझकर किसी भी प्राणी को कष्ट नहीं पहुंचाया है।

मेरे सत्कर्म तुम्हारा सुरक्षा कवच बने और आपकी और आपके शिशु की रक्षा करे। अहिंसक ने मुझसे कहा , परंतु यह तो असत्य होगा बुद्ध ! सत्य तो यह है कि मैंने आज तक बहुत से प्राणियों को कष्ट पहुंचाया है। यदि मैंने ऐसा कहा तो वे माता और शिशु उसी क्षण प्राण त्याग देंगे।

  • जरूर पढ़े: गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं

फिर बुद्ध ने कहा तो तुरंत जाओ और उस स्त्री से कहो बहन जिस दिन से मेरा एक नया जन्म हुआ है , मैंने सभी बुरे कृत्यों को त्यागा है और उस दिन से मैंने किसी भी प्राणी को कष्ट नहीं पहुंचाया है। और मेरे सत्कर्म आपका सुरक्षा कवच बने और आपकी और आपके शिशु की रक्षा करे।

फिर अहिंसक ने बुद्ध से पूछा कि क्या मेरे सत्कर्म उन्हें बचा लेंगे ? बुद्ध ने कहा की, अवश्य यह तुम्हारी अपनी कमाई है या तो तुम इसे अपने लिए बचा कर रखो या फिर किसी पराए पर खर्च कर दो। अपने कमाए सत्कर्म को किसी पराए पर न्योछावर करने से पहले अहिंसक ने एक क्षण नहीं सोचा।

और वो उसी समय उस स्त्री और उसके शिशु की जान बचाने के लिए वहां चला आया। वह स्त्री कहती है की हां , यह भिक्षु दौड़कर वहां आया और अभी भी वो स्त्री गहन पीड़ा से जूझ रही थी।

इसने अपने दोनों हाथ जोड़े और आंखें बंद करके कहने लगा, बहन जिस क्षण से मैं भिक्षु बना हु, उस क्षण के बाद मैंने कोई भी ऐसा कृत्य नहीं किया , जिससे की किसी भी प्राणी को कष्ट पहुंचे मेरे सत्कर्म आपके लिए सुरक्षा कवच बनें, आपकी और आपके शिशु की रक्षा करें और इतना कहते ही उस स्त्री ने अपने बच्चे को जन्म दे दिया।

फिर बुद्ध कहते हैं कि दूसरों के दुख से दुखी होने वाला यह व्यक्ति (अहिंसक)  कैसे किसी को दुख दे सकता है! यदि ये भिक्षु मन का सच्चा ना होता, तो वह स्त्री कब के अपने प्राण त्याग चुकी होती। फिर अहिंसक ने बुद्ध से कहा है की इन्हें मत रोकिए बुद्ध, इन्हें मारने दीजिए और तब तक मारने दीजिए जब तक कि इनके मन का क्रोध शांत ना हो जाए।

फिर बुद्ध अहिंसक से कहते हैं कर्म और गुणों के भंडार हो तुम। आज तुमने अपने नाम अहिंसक को सिद्ध कर दिया है। बुद्ध और उस स्त्री की बात सुन वे सभी गांव वाले कहते हैं, आप सही कह रहे हैं बुद्ध। अहिंसक बदल चुका है और हम से ही देखने में भूल हो गई थी।

दोस्तो इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है की👇👇👇

लोग सोचते हैं की उन्होंने बहुत सारे गलत काम किए हुए है, अब इन गलत कामों को सुधारने के लिए कोई भी विकल्प नहीं है, इस पर गौतम बुद्ध कहते है कि चाहे आपने अब तक कितने भी बुरे काम क्यों न किए हुए होंगे, लेकिन अगर आप एक विचार को अपने मन में लाते हैं की,

अब मुझे कुछ सही करना है, तो वही विचार आपके रूपांतरण का कारण बन सकता है। पर सबसे जरूरी बात यह है की क्या आप पहला कदम उठाने के लिए तैयार है? दोस्तो यह कहानी आपको कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके जरूर बताएं।

एक माँ और उसके मृतक बच्चे की कहानी – Gautam Buddha Short Story in Hindi

दोस्तो एक बार गौतम बुद्ध के पास एक स्त्री अपने बच्चे को लेकर रोती हुई आती है और उनसे कहती है , प्रभु मैं आपके पास बड़ी आशा लेकर आई हूं। मैं जानती हूं कि आपके लिए सब कुछ संभव है और आप परमज्ञानी हैं।

इसीलिए कृपया मेरे मृत बच्चे को जीवित कर दीजिए, मैं आपका यह उपकार कभी नहीं भूलुंगी। उस स्त्री को बुद्ध के पास उन लोगों ने भेजा था जो लोग बुद्ध से ईर्ष्या करते थे। उनका उद्देश्य ये था कि बुद्ध सभी की नजरों में गिर जाए।

उस स्त्री के पुत्र की मृत्यु वास्तव में हुई थी , परंतु वह नहीं जानती थी कि उसका और उसके मृत पुत्र का इस्तेमाल बुद्ध को नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा है। उसे तो बस ये बताया गया था कि बुद्ध सच में उसके पुत्र को जीवित कर सकते हैं।

वो स्त्री कहती है की कहिए ना प्रभु आप मेरे पुत्र को जीवित कर देंगे ना? वहां उपस्थित सभी लोग बुद्ध के उत्तर का इंतजार कर रहे होते हैं। बुद्ध कहते हैं, हां, मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर सकता हूं। बुद्ध की ये बात सुन वहां उपस्थित सभी लोग बहुत चौंकते हैं और वह स्त्री बहुत प्रसन्न होती है।

फिर बुद्ध कहते हैं की परंतु तुम्हें एक कार्य करना होगा। वह स्त्री पूछती है क्या कार्य करना होगा मुझे प्रभु ? बुद्ध कहते हैं की तुम्हें एक मुट्ठी सरसों के दाने लाने होंगे। वो स्त्री कहती है, मैं अभी लेकर आती हूं प्रभु।

बुद्ध कहते हैं परंतु ध्यान रहे की दाने ऐसे घर से लाने हैं, जिस घर में कभी किसी की भी मृत्यु ना हुई हो। वह स्त्री उसी क्षण सरसों के दाने लेने के लिए अपने गांव में चली जाती है। वह अपने गांव के हर घर में जाकर पूछती है। उसे सरसों के दाने तो हर घर में मिलते हैं, परंतु उसे ऐसा कोई घर नहीं मिलता, जिसमें आज तक कभी किसी की भी मृत्यु ना हुई हो।

फिर वह स्त्री समझ जाती है कि मृत्यु जीवन का एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई नहीं बदल सकता। वह स्त्री बुद्ध के पास जाती है और कहती है, मैं इस बात को कहीं न कहीं जानती तो थी, परंतु स्वीकारना नहीं चाहती थी। आपने बिना कुछ कहे ही मुझे इस सत्य से अवगत करा दिया।

बुद्ध कहते हैं जो जन्मा है, उसकी मृत्यु निश्चित है, और यही प्रकृति का नियम है। चाहे कोई व्यक्ति कितना ही सुंदर क्यों न हो या करूप हो या बूढ़ा हो या जवान हो, लेकिन फिर भी मृत्यु सभी को आनी है। बुद्ध कहते हैं ये संसार जिसे हम यथार्थ मानते हैं, यह दुख और पीड़ा का क्षणभंगुर खेल है, इसीलिए जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है।

दोस्तो यह कहानी आपको कैसी लगी और इस कहानी से आपको क्या सीखने को मिला? ये हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही इस कहानी को अपने दोस्तो के साथ अवश्य शेयर कीजिए, ताकि गौतम बुद्ध की ये सभी कहानिया अन्य लोगो को भी पढ़ने को मिल सके।

  • जरूर पढ़े: बुद्ध से जाने अपने मन को नियंत्रित कैसे करें?

गौतम बुद्ध की कहानी से जाने अपने मन को समझने का सूत्र – Gautam Buddha Story in Hindi

दोस्तो मनुष्य का मन भी ना बड़ा चालाक होता है, वह उसे उसके ही जाल में फसा देता है। हर व्यक्ति के अंदर बहुत सारे अंधविश्वास होते हैं, और ऐसा नहीं है की हर अंधविश्वास गलत होता है।

जैसे की मान ले की आप नशा करते हैं और नशा करके अपने आस पास गंदगी का माहोल बनाए रखते हैं, तो इसका असर आपके जीवन पर भी जरूर पड़ता है। चाहे आप माने या ना माने।

एक छोटी सी कहानी से में आपको यह समझाने का प्रयास करूंगा की हमारा मन हमे कैसे हमारे ही अंधविश्वासो में बांधकर रख देता है। तो चलिए कहानी की शुरुआत करते हैं।

एक बार बुद्ध एक नदी के किनारे से गुजर रहे थे और सर्दियों का समय था। सभी लोग मार्ग पर मोटे मोटे वस्त्र ओढ़कर चल रहे थे। तभी बुद्ध की नजर एक व्यक्ति पर पड़ती है, जो नदी के ठंडे पानी में डुबकी लगा रहा होता है।

बुद्ध उस व्यक्ति को देखकर थोड़ा आश्चर्यचकित होते हैं, क्योंकि वो व्यक्ति काँप भी रहा था और नहा भी रहा था। बुद्ध उस व्यक्ति से इतनी ठंड में नदी में डुबकी लगाने का कारण पूछते हैं।

फिर वह व्यक्ति बुद्ध को बताता है कि वह सुबह सुबह नदी में नहा धोकर पूजा के लिए जा रहा था, तभी उसका पैर एक मेंढक पर पड़ गया और उसके कारण में अपवित्र हो गया हु और इसलिए में फिर से पवित्र होने के लिए नदी में डुबकी लगा रहा हूं।

बुद्ध उस व्यक्ति की बात सुनकर मुस्कुराते हैं और उससे पूछते हैं, क्या तुम मुझे बता सकते हो कि वो मेंढक कहां रहता है? वह व्यक्ति कहता है पानी में। फिर बुद्ध कहते हैं जब तुम इस पानी में डुबकी लगाने से पवित्र हो सकते हो?

तो वह मेंढक तो हमेशा से ही इस पानी में ही रहता है , तो वह मेंढक तो पहले से ही पवित्र होगा। उसके छूने से तुम अपवित्र कैसे हो सकते हैं? उस व्यक्ति को बुद्ध की बात जचती है और वह पानी के बाहर आ जाता है।

बुद्ध उस काँपते हुए व्यक्ति को एक वस्त्र उठाते हैं और कहते हैं की “अंधविश्वास किसी बात का मत करो, जब तक कि वह तुम्हारे खुद का अनुभव ना बन जाए।” फिर बुद्ध कहते है की मनुष्य अपने मन के कारण ही दुख पाता है और जो चीजे अपवित्र है, उन्हे तो वह अपवित्र नही मानता।

लेकिन जो चीजे पवित्र है उन्हे वो अपवित्र मानता है। जैसे की लोग नशा करते हैं, व्यभिचार करते हैं, और एक दूसरे से घृणा का भाव भी रखते हैं, लेकिन इन्हे वो अपवित्र नही मानते। वे मानते हैं की कोई जीव जो उनके जीवन में कोई भी प्रभाव नही डालता है, वह अपवित्र है।

मनुष्य हमेशा अंधविश्वासों में जीता है, जिसके कारण वो पूरे जीवन अच्छे से जीवन जी ही नही पाता। फिर वो व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की सबसे बड़ा अंधविश्वास क्या है? फिर बुद्ध कहते है की मनुष्य का सबसे बड़ा अंधविश्वास यह है की उसे लगता है की वह अपने मन के द्वारा ही अपने मन से मुक्त हो जायेगा।

यानी अपने मन के द्वारा ही अपने जीवन के सभी दुखो से मुक्त हो जायेगा। तुम अपने चारो तरफ देखो तुम पाओगे की हर व्यक्ति अपने ही मन के जाल में उलझा हुआ है। कोई डर हुआ है तो कोई उमिदो में जी रहा है और किसी को यह लगता है की कल सब कुछ ठीक हो जायेगा।

लेकिन वास्तविकता यह है की जब तक मनुष्य अपने मन को नहीं समझेगा, तब तक कुछ भी ठीक नहीं हो सकता और यही शास्वत सत्य है। वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की मन को कैसे समझा जाता है?

बुद्ध कहते हैं की जागरूकता के द्वारा!! पूरे दिन में जब भी याद आए जागरूक होकर देखो की तुम्हारा मन तुमसे क्या करवा रहा है? तुम्हारा मन बार बार तुम्हे भुलाने का प्रयास करेगा, लेकिन तुम्हे बार बार प्रयास करते रहना है।

तुम्हे दिन में ये बार बार देखना है की क्या तुम उसी रास्ते पर जा रहे हो, जो तुम्हे वहा तक पहुंचाएगा, जहा तुम जाना चाहते हो। क्योंकि यही सूत्र है अपने मन को समझकर मन से मुक्त होने का…

रिलेटेड पोस्ट्स:

  • बुद्ध से जाने अपने मन को नियंत्रित कैसे करें।
  • इस कहानी को अगर आप समझ गए तो अपने मन को शांत करना हो जायेगा आपके लिए बहुत आसान।
  • गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं जानिए हिंदी में...

Gautam Buddha Stories in Hindi PDF Free Download

दोस्तो अगर आप Gautam Buddha Stories in Hindi PDF Free Download करना चाहते हैं? तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी PDF Free Download कर सकते हैं।

  • गौतम बुद्ध की कहानियाँ हिंदी PDF Free Download

दोस्तो आज के इस “Top 3 Gautam Buddha Stories in Hindi” आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तो अगर आपको गौतम बुद्ध के जीवन की ये 3 कहानियां पसंद आई होगी और आपके लिए उपयोगी साबित हुई होंगी? तो इन कहानियों को अपने दोस्तो के साथ facebook और whatsapp पर जरूर शेयर कीजिए।

साथ ही ये आर्टिकल आपको कैसा लगा? यह भी हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं। दोस्तो हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आप हमारे नॉलेज ग्रो टेलीग्राम चैनल को अवश्य ज्वाइन कीजिए, ताकि भविष्य में जब भी इस ब्लॉग पर नया आर्टिकल होंगा तो उसकी notification सबसे पहले आपको मिल सके।

  • Instagram Page : Follow Me
  • Telegram Channel : Subscribe

दोस्तो हम आपसे फिर मिलेंगे ऐसे ही एक और interesting & सेल्फ हेल्प आर्टिकल के साथ तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए और खुशियां बांटते रहिए।

आपका बहुमूल्य समय हमे देने के लिए दिल से धन्यवाद 🙏🙏🙏

Share This Article
Facebook Pinterest Whatsapp Whatsapp LinkedIn Telegram Copy Link
Previous Article रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi रतन टाटा की जीवनी और उनकी शादी ना करने की असली वजह
Next Article The Power of Positive Thinking in Hindi PDF Free Download The Power of Positive Thinking in Hindi PDF Free Download
5 Comments 5 Comments
  • Digvijay says:
    October 9, 2022 at 8:35 pm

    Thank

    Reply
  • Krishna says:
    March 29, 2023 at 3:11 pm

    Thank you for such an inspiring and informative story

    Reply
  • GANESH says:
    April 23, 2023 at 7:31 am

    Great post! I really appreciate your insights and thoughtful analysis of the topic. It’s clear that you’ve done your research and have a deep understanding of the subject matter. I especially enjoyed your use of real-world examples and your ability to explain complex concepts in an easy-to-understand way. Keep up the good work, and I look forward to reading more from you in the future!

    Reply
    • Shridas Kadam says:
      April 23, 2023 at 8:18 am

      thank u for your positive feedback

      Reply
  • Monika says:
    May 7, 2023 at 8:12 am

    Such a positive story. Great job

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Letest Posts

The Kerala Story Movie Review in Hindi
सारी लड़कियों की आंखें खोल देगी, The Kerala Story Movie की ये कहानी
Movie Reviews in Hindi Hindi Blog Self Help Articles
Shrimad Bhagwat Katha in Hindi Me  | श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में
Top 5 Shrimad Bhagwat Katha in Hindi | श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में
Shrimad Bhagwat Katha in Hindi Hindi Blog Spiritual Articles
Best Hindi Youtube Channels Can Change Your Life
Top 15 Best Hindi Youtube Channels Can Change Your Life
Self Help Articles Hindi Blog
Best Motivational Kahani in Hindi
खुशी का मंत्र – Best Motivational Kahani in Hindi
Motivational Stories In Hindi Hindi Blog

Fatured Posts

Book Summaries

बदले अपनी सोच तो बदलेगा जीवन बुक समरी इन हिंदी में

Rich Dad Poor Dad Book Summary in Hindi

The Psychology Of Money Hindi Summary – With Pdf Download

Read More Book Summaries : Click Hare

Biographies

संत मीराबाई का जीवन परिचय हिंदी में 

Top 5 Powerful Real Life Inspirational Stories in Hindi

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं

Read More Biographies: Click hare

Motivational Stories

खुशी का मंत्र – Best Motivational Kahani In Hindi

जीवन की यात्रा – Hindi Motivational Story

चार रानियों वाला राजा – Short Motivational Kahani

Read More Stories: Click Hare

Motivational Quotes

Top 100 Bhagavad Gita Quotes in Hindi For Success

100 Inspirational Life Lessons In Hindi For Success

100+ प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी में

Read More Motivational Quotes: Click Hare

Self Help Articles

जाने सफलता दिलाने वाले भगवान श्री कृष्ण के 10 उपदेश, आज से ही कर दे जीवन में अपनाना शुरू

Top 15 Best Hindi Youtube Channels Can Change Your Life

जानिए आलस क्यों आता है और आलस को कैसे दूर करें?

Read More Self Help Articles: Click Hare

Spiritual Articles

सफलता दिलाने वालें महात्मा बुद्ध के 10 उपदेश, आज से ही कर दें जीवन में अपनाना शुरू

गीता के ये 10 उपदेश आपकी जिंदगी बदल देंगे

Top 5 Shrimad Bhagwat Katha in Hindi | श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में

Read More Spiritual Articles: Click hare

Follow US
Copyright © 2020 - 2023 Knowledge Grow, All Rights Reserved.
adbanner
AdBlock Detected
Our site is an advertising supported site. Please whitelist to support our site.
Okay, I'll Whitelist
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?