जानिए कामवासना से मुक्ति और ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? | Life Changing Brahmacharya Story in Hindi
दोस्तो क्या आप कामवासना से मुक्ति और ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? यह जानना चाहते हैं, तो यह कहानी आपके लिए है। दोस्तो इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िए, क्योंकि अगर आप इस कहानी को अंत तक पढ़ते हैं? तो आपके समझ में आ जायेगा की 👇👇👇
वी-र्य को अपने भीतर रोककर रखने के क्या क्या फायदे है और ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? और काम_वासना से मुक्ति कैसे पाएं? दोस्तो इन सभी सवालों के जवाब आपको इस कहानी के अंत तक मिल जायेगे। तो बिना समय को गवाए चलिए कहानी की शुरुआत करते हैं।
Life Changing Brahmacharya Story in Hindi
दोस्तो एक बार एक नौजवान लड़का एक महात्मा के पास आता है और उनसे कहता है की “महात्मा जी में काम_वासना से छुटकारा पाना चाहता हूं और काम_वासना ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया है। मेरे मन में हर समय काम – वासना से जुड़े विचार चलते रहते हैं।
में जितना ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहता हूं , उतना ही ज्यादा काम – वासना में लिप्त होता जाता हूं। में अपनी ही नजरो में छोटा होता जाता जा रहा हु, और मुझे खुद से ही घृणा होती है, में अब क्या करू? वे बौद्ध भिक्षु उस लड़के से पूछते हैं कि “तुम ब्रह्मचर्य का पालन क्यो करना चाहते हो?”
फिर वह लड़का कहता है की जो एक ब्रह्मचारी कर सकता है , वह एक काम-वासना में लिप्त हुआ इंसान कभी भी नही कर सकता। एक ब्रह्मचारी परमानंद का अनुभव कर सकता है, लेकिन एक कामुक व्यक्ति हर समय काम-वासना में ही उलझा हुआ रहता है।
ब्रह्मचारी शक्तिशाली और सुंदर होते हैं और उनके चेहरे पर हमेशा एक तेज होता है, और उनकी तरफ कोई भी आसानी से आकर्षित हो जाता है। लेकिन एक काम – वासना में डूबा हुआ इंसान कुरूप और कमजोर होता है और उसकी तरफ कोई भी आकर्षित नहीं होता है।
उसके बाद वो बौद्ध भिक्षु उस लड़के से पूछते हैं की बलवान शरीर और सुंदर रूप से तुम्हे क्या लाभ मिलेगा? क्या तुम लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हो? वह लड़का उन बौद्ध भिक्षु से कहता है कि महात्मन अब आपसे क्या छुपाना? में एक लड़की से प्रेम करता हूं, परंतु वह लड़की मुझसे प्रेम नही करती है, क्योंकि 👇👇
में दुबला पतला हू और मेरा रंग सांवला है और मे बिलकुल भी आकर्षक नही दिखता हूं। में चाहता हूं कि वो भी मुझसे प्रेम करे, और इसीलिए में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहता हूं। फिर वे बौद्ध भिक्षु उस लड़के से कहते हैं की “क्या तुम खुद खुद से प्रेम करते हो?”
वह लड़का उन बौद्ध भिक्षु से कहता है की महात्मन यदि सच बताऊं तो में खुद से प्रेम नही करता। फिर वे महात्मा कहते है कि जब तुम खुद खुद से प्रेम नही करते हो, तो तुम किसी दूसरे व्यक्ति से प्रेम की उम्मीद कैसे रख सकते हो। इसीलिए सबसे पहले तुम्हे खुद से प्रेम करना होगा।
इस प्रकृति से तुम्हे जो कुछ भी मिला हुआ है, उसे प्रेम के साथ स्वीकारना होगा। तुम जैसे भी हो अपने आपको स्वीकारो, तभी तुमसे कोई और व्यक्ति प्रेम कर सकेगा। और रही बात ब्रह्मचर्य का पालन करने की तो ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत आसान है, अगर तुम्हारा उद्देश्य ठीक है तो..!
अगर कोई व्यक्ति काम_वासना के ही लिए काम_वासना से ऊपर उठना चाहता है, तो यह संभव नहीं है। अर्थात तुम अगर किसी लड़की के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हो, तो तुम कभी भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर पाओगे। क्योंकि मनुष्य जिसे प्रेम कहता है उसकी जड़ में काम_वासना ही छुपी हुई होती है।
वो पुरुष ऊपर ऊपर से कह सकता है की में तुम्हारी चिंता करता हूं और में तुम्हे अपने शरीर का आधा हिस्सा मानता हूं। और में तुम्हे निस्वार्थ भाव से प्रेम करता हूं, ठीक वैसे ही स्त्री उपर ऊपर से कह सकती है में तुम्हारी चिंता करती हूं और में तुम्हे निस्वार्थ भाव प्रेम करती हूं। लेकिन 👇👇
दोनो के अंदर गहराई में मिलन की इच्छा छिपी हुई रहती है और इसमें कुछ बुरा नही है क्योंकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है, और प्रकृति ने ही मनुष्य को ऐसा बनाया है। बुराई इसमें है की “मनुष्य बिना सोचे समझे इस प्रकृति का विरोध करने लगता है”
एक भिक्षु ब्रह्मचर्य का पालन इसीलिए कर पाता है की क्योंकि वह जीवन के सुख कहे जाने वाले सभी सुखों को भोग लेता है , जिसके कारण उसके अंदर वैराग्य पैदा होता है। और वैराग्य ही व्यक्ति को ब्रह्मचर्य तक ले जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने भीतर आकर्षण पैदा करने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करें, तो वह कभी कभी वास्तविक ब्रह्मचर्य को नहीं समझ सकता।
तो क्या अपने भीतर वी-र्य को रोककर रखना ब्रह्मचर्य नही है और क्या उसका कोई फायदा नही है? वे बौद्ध भिक्षु उस लड़के से कहते हैं की वी-र्य को अपने अंदर रोककर रखने के बहुत फायदे हैं, लेकिन वह सभी फायदे तभी हैं, जब तुम उस वी-र्य की ऊर्जा को विक्षिप्तता न बनने दो।
जैसे कोई व्यक्ति बाहर से तो अपने वी-र्य को रोक रहा है , लेकिन उसके भीतर हर समय काम वासना के विचार ही चल रहे हैं, और उसका ध्यान किसी और चीज पर लग ही नहीं पा रहा है, और उसका दिमाग केवल एक ही चीज के बारे में सोच रहा है, तो यह विक्षिप्तता की शुरुआत है।
लेकिन अगर कोई इंसान अपने वी-र्य की ऊर्जा का उपयोग किसी स्रजनात्मक काम को करने में करे, तो कुछ ऐसा किया जा सकता है, जो अकथनीय है। और हां ब्रह्मचर्य का अर्थ वी-र्य को अपने अंदर रोककर रखना नही है, बल्कि उसकी ऊर्जा को रूपांतरित करना है।
Conclusion of Story On Brahmacharya in Hindi
दोस्तो कुल मिलाकर बात इतनी है कि काम ऊर्जा को दबाना ब्रह्मचर्य नही है और काम_वासना में ही लिप्त रहना सही विकल्प नहीं है। अगर आपको एक संसारी जीवन जीना है, तो आप काम_वासना की उपयोगिता को समझिए, ना की उससे नफरत करनी चाहिए। क्योंकि काम_वासना पूरी तरह से प्राकृतिक है।
काम_वासना के ही लिए काम_वासना से ऊपर नही उठा जा सकता है, यानी सिर्फ अपने भीतर आकर्षण पैदा करने के लिए वास्तविक ब्रह्मचर्य को नहीं समझा जा सकता है। सांसारिक जीवन को जीते हुए अगर ब्रह्मचर्य को समझना है, तो कुछ ऐसा करो जो स्रजनात्मक हो।
दोस्तो क्या आप वास्तविक ब्रह्मचर्य को समझना चाहते हैं? तो आप नीचे दिए हुए आर्टिकल को एक जरूर पढ़िए। उस आर्टिकल में ब्रह्मचर्य से रिलेटेड सभी टॉपिक्स को कवर किया हुआ है, और उस आर्टिकल को पढ़ने की लिंक नीचे दी हुई है।
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दोस्तों आज के इस Brahmacharya Story in Hindi आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तो हम आपसे फिर मिलेंगे ऐसे ही एक एक आर्टिकल के साथ तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए और खुशियां बांटते रहिए।
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