जानिए अपने मन को शांत कैसे करे? | Apne Man Ko Shant Kaise Kare
नमस्कार मेरे प्यारे भाईयो और बहनों आप सभी का हमारे नॉलेज ग्रो हिंदी ब्लॉग पर एक बार फिर से स्वागत है। दोस्तो क्या आप अपने मन को शांत कैसे करें? यह जानना चाहते हैं? या आप अपने मन को शांत करने के लिए कारगर उपाय ढूंढ रहे हैं? तो आप बिलकुल सही जगह पर आए हुए हैं।
दोस्तो सबसे पहले में आपको यह विश्वास दिलाना चाहता हूं की “इस आर्टिकल के अंत तक आपके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होंगी” क्योंकि इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान से पढ़ने के बाद आप कुछ ऐसा जान लेंगे, जो इस “जीवन के रूपांतरण” के लिए काफी है। तो चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
अपने मन को शांत कैसे करे? जानिए एक जीवन को बदल देने वाली कहानी से
दोस्तो एक बार एक लड़का एक महात्मा के पास आता है और उनसे कहता है कि “महात्मा जी मेरे जीवन में बहुत अशांति है और कृपा कर मेरा मार्गदर्शन करें, जिससे की में इस अशांति से छुटकारा पा सकूं?” वे महात्मा उस लड़के से पूछते हैं कि “तुम्हारे जीवन मे अशांति क्यों है?”
फिर वह लड़का उत्तर देता है “अत्यधिक विचारों के कारण मेरे भीतर बहुत सारे विचार चलते रहते हैं, जिसके कारण मेरा मन अशांत रहता है।” फिर वे महात्मा जी मुस्कुराते हैं और उस लड़के से कहते है की “ऊपर उस आकाश में देखो क्या तुम्हे सूर्य दिख रहा है?”
वह लड़का ऊपर आकाश में देखता है और कहता है की जी गुरुदेव, दिख रहा है, फिर वे महात्मा जी उस लड़के से पूछते हैं कि अगर तुम लगातार धूप में खड़े रहो तो क्या होगा? वो लड़का कहता है की गर्मी लगेगी गुरुदेव और शरीर में बैचेनी पैदा हो जायेगी!
फिर वे महात्मा जी उस लड़के से पूछते हैं की अगर धूप में खड़े रहने से तुम्हे गर्मी लगती है, तो इसमें दोष किसका है? सूर्य का, गर्मी का या तुम्हारा? वो लड़का थोड़ी देर सोचता है और कहता है “कृपा कर आप ही बताइए गुरुदेव”
वे महात्मा जी मुस्कुराते हैं और उस लड़के से कहते हैं की सूर्य का काम है गर्मी देना, और गर्मी का काम है गर्मी लगवाना, इसलिए दोष तुम्हारा है की तुम धूप में जाकर खड़े हुए हो। तुम चाहो तो तुम छाया में जाकर बैठ सकते हो।
ठीक उसी प्रकार हमारे मन का स्वभाव है “विचारों और भावनाओं की खिचड़ी पकाना” और विचारों और भावनाओं का काम है “तुम्हे दिशा दिखाना।” अब उस दिशा में तुम्हे चलना है या नही? यह सिर्फ तुम्हारे हाथ में है।
देखो ध्यान से समझो की विचार और भावनाएं समस्या नहीं है, बल्कि तुम्हारा उनसे जुड़े रहना समस्या है। सोचो कि तुम धूप में खड़े हो और तुम चाह रहे हो की तुम्हे गर्मी ना लगे? क्या यह संभव है? अगर तुम्हे गर्मी से बचना है, तो तुम्हे अपनी जगह बदलकर धूप से छाया में जाना है?
मनुष्य होने के 4 आयाम है और है 👇
- तन
- मन
- दिल
- बुद्धत्व
दोस्तो बुद्धत्व यानी कि को बुद्धि के परे की स्थिति है, उसे बुद्धत्व कहा जाता है। दूसरे और तीसरे आयामों में हमेशा उथल पुथल रहती है। यानी मन में विचार चलते रहते हैं और दिल में भावनाएं होती हैं और ये दोनो ही आयाम बहुत ही शक्तिशाली है।
- जरुर पढें: गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं
विचार क्षणिक होते हैं और भावनाएं देर तक टिकती हैं। इसे तुम ऐसे समझो जैसे की “कल तुम जिसे खोने से डरते थे आज वो तुम्हारे पास नही है, और आज तुम्हे उसकी कमी मेहसूस नही होती हैं। कुछ समय तक हुई थी लेकिन अब नही हो रही है, क्योंकि भावनाओं को अलग होने में थोड़ा समय लगता है।
विचार तुरंत बदल जाते है जैसे अभी तुम कुछ और सोच रहे थे और थोड़ी देर बाद कुछ और सोचने लग जाओगे। इन भावनाओं के कारण ही तुम्हे किसी से प्रेम हो जाता है और फिर वही प्रेम नफरत में बदल जाता है, मित्र ही शत्रु बन जाता है। उसके बाद वह लड़का उस महात्मा जी से कहता है की फिर उपाय क्या हैं?
अपने मन को शांत कैसे करे?
फिर वे महात्मा जी उस लड़के से कहते हैं की उपाय यह है “तन के आयाम पर काम करना ओर यह सबसे आसान तरीका है। शरीर के स्तर पर हमारी कर्मेंद्रियां है और ज्ञानेंद्रिया है। हमारी कर्मेंद्रियां कर्म से जुड़ी हुई है और हमारी ज्ञानेंद्रिया ज्ञान से जुड़ी हुई हैं।
इनके प्रति हम अपनी सवेंदनशीलता को बढ़ा सकते हैं और इसका मतलब यह है की “हम जो भी कार्य करे उसे आनंद के साथ कर सकते हैं। जैसे अगर आप पानी पी रहे हो तो पूरी तरह से पानी ही पियो, यानी पानी पीने में अपना 100 प्रतिषद दो।
ऐसा करने से क्या होंगा गुरुदेव???
ऐसा करने से तुम मन और दिल के आयाम से हट कर शरीर के आयाम पर आ जाओगे। और यह बिल्कुल ऐसा है जैसे कि तुम धूप से हटकर छांव में आ गए। मन और हृदय के आयाम पर अपना काम चल रहा है, लेकिन तुम्हारी जागरूकता तन पर आ गई है।
जैसे की सुबह उठो तो सूरज की किरणों को मेहसूस करो और हवा को मेहसूस करो। आंखे बंद करके पक्षियों की आवाजे सुनो। लगातार तन के आयाम पर काम करने से तुम एक दिन हैरान हो जाओगे की तुम पक्षियों की आवाजे तो कानो से सून रहे हो, लेकिन तुम्हारा चित्त शांत हो रहा है।
तुमने अपने चित्त पर कोई कार्य नहीं किया लेकिन फिर भी वह शांत हो रहा है। इसीलिए पहला उपाय यह है की हर कार्य को तन के आयाम पर जागरूकता के साथ करना। और दूसरा उपाय है 👇👇👇
अपने भीतर के नाद यानी सुर को सुनो…
फिर वह लड़का महात्मा जी से पूछता है की गुरु देव अपने भीतर के सुर को कैसे सुनें? फिर वे महात्मा जी उससे कहते हैं “किसी शांत जगह पर जाओ , जहा पर कोई शोर न हो और अपनी आंखे बंद करो और अपने भीतर के सुर को सुनने का प्रयास करो।
हैरानी की बात यह है की वह सुर कभी भी बंद नही होता है। और वह हमेशा बचता ही रहता है। फिर वह लड़का पूछता है की तो फिर उस सुर को में अभी और इसी वक्त क्यों नहीं सुन सकता हूं? वे महात्मा कहते हैं की बाहर के शोर के कारण तुम उसे नही सुन पा रहे हो।
अगर तुम अपने भीतर के सुर को अभी सुनना चाहते हो? तो तुम्हे अपने दोनो हाथों से अपने कानो को बंद कर दो और सुनो। तुम देखोगे की यह सुर बिना किसी यंत्र के बज रहा है और जब तुम इसे सुनोगे तो तुम अपने हृदय और मन से दूर हो जाओगे और तुम्हारा चित्त शांत होने लगेगा।
- जरुर पढें: महात्मा से जाने अपना भाग्य कैसे बदले?
एक बात हमेशा याद रखना की मन सबसे ज्यादा सक्रिय तभी होता है, जब इसे तुम्हारे द्वारा ऊर्जा मिलती है। अगर तुम अपनी ऊर्जा को अपने तन को और अपने भीतर के सुर को सुनने पर लगाओगे, तो तुम्हारा मन कैसे सक्रिय होंगा? पर समस्या क्या है? पता है तुम्हे?
हम अपने विचारो से और अपनी भावनाओं से लढ़ते रहते हैं और इसी में ही अपनी ऊर्जा को खत्म कर देते हैं। फिर हमे हर बार की तरह हमे अशांति घेर लेती है। इसीलिए अपने मन को शांत करने के लिए ये 2 काम करे…
पहला अपने मन के आयाम से हट कर तन के आयाम पर आ जाए और दूसरा उपाय है अपने भीतर के सुर को सुने। दोस्तों वह लड़का तो उन महात्मा की बातों को समझ जाता है, लेकिन क्या आप समझ पाए? यह हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं?
दोस्तो आज की यह कहानी आपको कैसी लगी? और इस कहानी से आपको और क्या क्या सीखने को मिला? यह भी हमे कमेंट करके जरूर बताएं। साथ ही अगर आपको यह कहानी पसंद आई होगी और आपके लिए कारगर साबित हुई होंगी, तो इसे अपने दोस्तो के साथ इसे अवश्य शेयर करे।
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दोस्तो आज के इस “अपने मन को शांत कैसे करें” हिंदी आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तो हम आपसे फिर मिलेंगे ऐसे ही एक जीवन बदल देने वाले आर्टिकल के साथ, तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए और खुशियां बांटते रहिए।
धन्यवाद 🙏🙏🙏