जैसा आप बनना चाहते हैं, वैसा नही बन पा रहे हैं? तो जानिए उसका असली कारण गौतम बुद्ध की कहानी से…
नमस्कार दोस्तों, आप सभी का नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो क्या आप जैसा बनना चाहते हैं, वैसा नही बन पा रहे हैं, या जो आप चाहते हैं, अगर वो नही हो रहा है! तो आज की यह कहानी आपके लिए ही है। दोस्तो इस कहानी को ध्यान से अंत तक जरूर पढ़िए।
दोस्तों अगर आप इस कहानी को अंत तक ध्यान से पढ़ते है, तो आपको इस कहानी से कुछ ऐसा सिखने को मिलने वाला है, जो आपको आपकी life में बहुत काम आने वाला है। इसलिए इस कहानी को अंत तक अवश्य पढ़िए।
Life Changing Gautam Buddha Story on Success in Hindi
दोस्तो आज आपके पास जो कुछ भी है, वो इसीलिए नही है कि आपकी किस्मत में इतना ही लिखा था, या फिर आपकी किस्मत ही खराब है, बल्कि वो इसीलिए है क्योंकि आप इतना ही डिजर्व करते हैं। दोस्तो यह प्रकृति बड़ी ही न्याय प्रिय है, यह उसे उतना ही देती है, जितने का वह हकदार होता है।
चाहे वो ज्ञान हो या धन, अभी आपके पास उतना ही है जितने की आप हकदार है। लेकिन अगर आपको इससे भी ज्यादा चाहिए, तो आपको उसके काबिल बनना होंगा। दोस्तो ऐसा कौन सा गुण है, जो आपको काबिल बनाता है, क्या आप उस गुण के बारे में जानना चाहते हैं?
अगर आप जानना चाहते हैं, तो आप गौतम बुद्ध के जीवन की इस कहानी को अंत तक ध्यान से जरूर पढ़िए। दोस्तो इस कहानी को सिर्फ समझिएगा मत, बल्कि इस कहानी को अपने भीतर उतर जाने दीजिए। तो बिना समय को गवाएं चलिए कहानी की शुरुआत करते हैं।
गौतम बुद्ध के जीवन की शिक्षाप्रद कहानी जो आपका जीवन बदल देंगी।
दोस्तो एक बार गौतम बुद्ध को एक सभा में भाषण करना था और जब सभा का समय हुआ तब बुद्ध वहा आए और बिना कुछ बोले ही वहा से चले गए। तकरीबन १०० से भी ज्यादा लोग बुद्ध का उस सभा में इंतजार कर रहे थे और बुद्ध के इस तरह के व्यवहार को देखकर सभी लोग बहुत चौके, लेकिन किसी ने भी बुद्ध से कोई भी प्रश्न नही किया।
दोस्तो अगले दिन फिर से सभा का आयोजन हुआ और दूसरे दिन सभा में लोगो की संख्या तकरीबन घट गई। इस बार तकरीबन 80 लोग सभा में बैठे हुए थे। बुद्ध सभा में आए लेकिन इस बार भी बुद्ध ने वही किया, यानी बुद्ध इस बार भी आए और बिना कुछ बोले ही वहा से चले गए। लोग दुबारा से चौके लेकिन किसी ने भी बुद्ध से कोई प्रश्न नही किया।
अगले दिन सभा का आयोजन फिर से किया, लेकिन इस बार सभा में लोगो की संख्या और घट गई। इस बार सभा में केवल 50 लोग ही आए हुए थे। बुद्ध सभा में फिर से आए और उन्होंने इधर उधर देखा और बिना कुछ बोले ही सभा से चले गए। उसके बाद कुछ लोग क्रोधित भी हुए, क्योंकि लोगो ने अपना काम छोड़ छोड़ कर आए हुए थे, लेकिन किसी ने भी बुद्ध से कोई प्रश्न नहीं किया।
अगले दिन फिर से सभा का आयोजन हुआ, दोस्तो आप लोग जो इस कहानी को पढ़ रहे हैं, आप में से भी कुछ लोग मन ही मन यह कह रहे होंगे की “अरे कितनी बार सभा का आयोजन होंगा? और आप लोगो को भी इस कहानी को पढ़ते वक्त एरिटेशन होना शुरू हुआ होंगा।
और जिन जिन लोगों को भी अभी एरिटेशन होनी शुरू हो गई है, उन लोगों को तो यह कहानी बड़े ध्यान से पढ़कर समझना चाहिए, क्योंकि यह कहानी आपके लिए ही है। अगले दिन फिर से सभा का आयोजन हुआ, लेकिन इस बार सभा की संख्या और ज्यादा घट गई थी, यानी इस बार सभा में सिर्फ ३० लोग ही थे।
फिर उसके बाद बुद्ध सभा में आए, मुस्कुराए और फिर से बुद्ध ने वही किया, यानी बिना कुछ बोले ही वहा से चले गए। इस बार भी लोग बहुत क्रोधित हुए और इस बार लोगो ने पीछे से कुछ कहा भी और बड़बड़ाए भी। लेकिन बुद्ध ने उनके किसी भी प्रश्न का उत्तर नही दिया।
दोस्तो अगले दिन फिर से सभा का आयोजन हुआ और इस बार लोगो कि संख्या बहुत ज्यादा घट गई थी, यानी इस बार सभा में कुल मिलाकर 15 लोग ही आए हुए थे। इस बार भी बुद्ध सभा में आए लेकिन इस बार बुद्ध अपना आसन ग्रहण कर लेते हैं। फिर बुद्ध बोले और बुद्ध ने उन 15 लोगो को उपदेश दिया।
और वे 15 लोग ही बुद्ध के भिक्षु बन गए, और आगे चलकर उन 15 लोगो ने ही बुद्ध के ज्ञान को अलग अलग दिशाओं में फैला दिया। फिर एक दिन बुद्ध से किसी ने पूछा कि बुद्ध आप कई दिनों तक बिना बोले ही सभा से क्यों चले जाते थे? फिर बुद्ध कहते हैं की 👇👇👇
“में उन लोगो को खोज रहा था, जो लायक थे। यानी कि पहले दिन 100 से भी ज्यादा लोग आए हुए थे, उसमे से ज्यादातर लोग सिर्फ आए हुए थे। उन्हें मेरे उपदेश से कोई भी मतलब नहीं था, वे बस आ गए थे। और उसमे से ज्यादातर लोग सिर्फ देखने और सुनने आए हुए थे की सभा में क्या होता है?
वे मेरे काम के लोग नही थे , क्योंकि वे लोग मेरे ज्ञान को औरों तक नही पहुंचा सकते थे। मुझे तो उन लोगो की खोज थी, जो मेरे ज्ञान को जन-जन तक पहुंचा सके। कई दिनों तक सभा से बिना बोले ही में इसीलिए चला गया क्योंकि में यह देखना चाहता था की “वे कोन लोग है, जिनके भीतर वास्तव में प्यास है?”
जिन लोगों के भीतर में वास्तव में प्यास थी, वे लोग अंत तक जरूर रुके। और जो लोग बस ऐसे ही आ गए थे, वे लोग पहले या दूसरे दिन ही चले गए। जिनके भीतर धैर्य था उन्हे मुक्ति का मार्ग भी मिला और जो लोग जल्दबाजी में थे, वे लोग अब घर में बैठे हुए हैं।
सवाल यह नही है की “में तुम्हे क्या दे सकता हूं? बल्कि सवाल यह है की तुम क्या लें सकते हो?” तुम्हारा पात्र कितना बड़ा है और कितने के तुम हकदार हो। जितने के तुम हकदार हो उससे ज्यादा तुम्हे नही मिलेगा। फिर वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की “बुद्ध लायक कैसे बने?”
फिर बुद्ध कहते हैं की ‘धैर्य के द्वारा’ जिस व्यक्ति के अंदर धैर्य है, वह अपने जीवन में कुछ भी पा सकता है। सभा में जितने भी लोग आए हुए थे और उसमे से अंत तक वही रुके, जिनके अंदर धैर्य था। चाहे तुम्हारे जीवन में तुम्हारा लक्ष्य जो कुछ भी हो, लेकिन तुम बिना धैर्य के सफलता के चरम तक नही पहुंच सकते।
फिर वह व्यक्ति बुद्ध से पूछता है की कोई व्यक्ति अपने भीतर के धैर्य को कैसे बढ़ाएं? बुद्ध कहते हैं कि “निरंतर अभ्यास के द्वारा” हम अपने भीतर के धैर्य को बढ़ा सकते है। जैसे कोई व्यक्ति जब ध्यान करना शुरू कर देता है, तो उसका मन उसके सामने कई सारे अड़चने लाता है। लेकिन उसका धैर्य उसे एक दिन उसके लक्ष्य तक जरूर पहुंचा देता है।
फिर वह व्यक्ति बुद्ध से कहता है की “में समझ गया बुद्ध में समझ गया! यानी मुझे धैर्य के साथ निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है। दोस्तो अब आपको समझ आ गया की आपके पास वो क्यों नहीं है, जो आप पाना चाहते हैं! क्योंकि आप उसके लायक नहीं है।
आप लायक तभी बनेंगे जब आप अपने भीतर धैर्य को बढ़ाएंगे। और धैर्य कैसे बढ़ेगा? धैर्य बढ़ेगा निरंतर अभ्यास के द्वारा और अभ्यास कौन करेगा? अभ्यास करेंगे आप , तो फिर करते क्यों नही? दोस्तो खुद से ईमानदारी के साथ एक प्रश्न जरूर पूछिए की 👇👇
जो आप भविष्य में बनना चाहते हैं, उसके लिए क्या आप धैर्य के साथ कर्म कर रहे हैं?
दोस्तो अगर उसका उत्तर नही है, तो अपनी असफलता के लिए जिम्मेदार आप खुद होंगे। दोस्तो आज की यह गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी आपको पसंद आई होंगी तो नीचे कमेंट बॉक्स में “Yes” जरूर लिखें और उसके साथ ही इस कहानी को अपने दोस्तो के साथ शेयर करना न भूलें।
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दोस्तो आज के इस आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तो हम आपसे फिर मिलेंगे ऐसे ही एक लाइफ चेंजिंग आर्टिकल के साथ तब तक के लिए आप जहा भी रहिए खुश रहिए और खुशियां बांटते रहिए।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए दिल से धन्यवाद 🙏🙏🙏