The Amazing Results of Positive Thinking Book Summary in Hindi | सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति Book Summary
नमस्कार दोस्तों आप सभी का नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो आज के इस आर्टिकल के जरिए में आपके साथ नॉर्मन विंसेंट पिल द्वारा लिखी हुई सकारात्मक सोच की अदभुत शक्ती किताब की समरी को हिंदी में शेयर करने वाला हु।
दोस्तो यह किताब उनकी Best Seller Book “The Power of Positive Thinking Book” का सेकंड पार्ट है। और इस किताब मे The Power of Positive Thinking Book को पढ़कर के जिन जिन लोगो ने सफलता हासिल की हुई है, उनकी सच्ची कहानियो के साथ ही जीवन को रूपांतरित कर देने वाले लाइफ लेसंस भी दिए हुए हैं।
दोस्तो क्या आप उन सच्ची कहानियो को और जीवन को रूपांतरित कर देने वाले Life lessons को पढ़ना चाहते हैं? तो आज के इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए। अगर आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको बहुत कुछ नया सीखने को मिलने वाला है। तो चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
The Amezing Results of Positive Thinking Book Summary in Hindi
दोस्तो सकारात्मक सोच की अदभुत शक्ती किताब को पूरा पढ़ने के बाद इस किताब से मुझे जो कुछ भी सीखने को मिला है, उसे में आज आपके साथ शेयर करने वाला हु, तो बिना समय को गंवाए चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
सकारात्मक सोच हमेशा कामयाब होती है।
दोस्तो इस किताब के पहले अध्याय से मैने सिखा यह सीखा है की सकारात्मक सोच हमेशा कामयाब होती है और हमारे साथ जो कुछ भी होता है, वो अच्छे के लिए ही होता है और हमारे साथ जो कुछ भी घटना घटती है, उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य जरूर होता है।
दोस्तो इस सिद्धांत को आपको अच्छे से समझाने के लिए में आपको एक सच्ची कहानी बताता हु, जो आपको बताएगी की हमारे साथ जो कुछ भी होता है, वो अच्छे के लिए ही होता है और हमारे साथ जो कुछ भी घटना घटती है, उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य जरूर होता है।
दोस्तो ये कहानी है बिल जी की जो इस किताब के लेखक नॉर्मन विंसेंट पिल जी के मित्र थे। एक दिन उनको उनकी नौकरी से बिना कारण के निकाल दिया गया और उनको सिर्फ इतना ही बताया गया कि नीतियों में बदलाव होने के कारण अब हमारी कंपनी को आपकी कोई जरूरत नहीं है।
स्थिति और भी बुरी इसलिए हुई थी क्योंकि बिल जी को 9 महीनों पहले इससे भी अच्छी कंपनी से जॉब के लिए ऑफर आया था। लेकिन इस कंपनी के मालिक ने बिल जी से ये कहा की तुम हमारी कंपनी को छोड़कर मत जाओ, क्योंकि हमारी कंपनी को तुम्हारी जरूरत है।
इसलिए बिल जी ने अपने मालिक के कहने पर उस कंपनी के जॉब ऑफर को ठुकरा दिया था। लेकिन अब इसी कंपनी ने उसे बिना कारण के नौकरी से निकाल दिया था। जिसके कारण बिल जी बहुत ही ज्यादा दुखी थे और चिड़चिड़े भी हो गए थे। और वे खुद को असुरक्षित और तिरुस्कूत महसूस कर रहे थे।
अब जाहिर सी बात है की इस तरह की मानसिकता में वो दूसरी नौकरी की तलाश ठीक से नही कर सकते थे। इस स्तिथि में उनके हाथ “द पॉवर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग” किताब लगी और उन्होंने इस किताब को पूरा पढ़ डाला।
दोस्तो इस किताब को पढ़ने के बाद उन्हें खुद के अंदर बहुत सारी नकारात्मक बाते नजर आई और उनको यह भी पता चला की उनकी यह नकारात्मक भावनाएं उन्हे पतन की ओर ले जा रही है। फिर उन्होंने ये तय किया की सकारात्मक सोच का लाभ लेने के लिए उन्हे अपनी नकारात्मक भावनावो से पीछा छुड़ाना होंगा।
अब वे जान गए थे की उन्हे कहा पर काम शुरू करना है और वे अपने विचारो को बदलने के काम में जुट गए। फिर उन्होंने अपने दिमाग से नकारात्मक विचारों को बाहर निकाला और उसकी जगह पर सकारात्मक विचार स्थापित किए।
फिर उन्होंने भगवान से कहा की “मुझे विश्वास है की मेरी जिंदगी के बारे में आपकी कोई न कोई योजना जरूर होंगी और मुझे नौकरी से निकाले जाने के पीछे कोई न कोई उद्देश्य जरूर होंगा। इसलिए में अपनी किस्मत पर लानतें भेजने के बजाय में आपसे प्रार्थना करता हूं की जो भी हुआ है, आप मुझे उसके पीछे का उद्देश्य बता दीजिए।
जब बिल जी को यह विश्वास हो गया की उसके साथ जो कुछ भी घटना घटी हुई है, उसके पीछे कोई न कोई उद्देश्य जरूर है, तो फिर उन्हें अपने पूर्व नियोक्ताओं के प्रति द्वेष से छुटकारा पाना बहुत आसान हो गया। और ऐसा होने के बाद वे एक बार फिर से “इससे भी अच्छी नौकरी” पाने के योग्य हो गए।
फिर उसके कुछ दिनों के बाद बिल जी को उनका पुराना दोस्त मिला। और वे दोनो एक दुसरे के साथ बाते करने लगे और उसने बिल जी से पूछा की उसका हालचाल कैसा है? फिर बिल जी ने उससे कहा की मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है। यह सुनकर उसका मित्र बहुत हैरान हो गया।
फिर उस मित्र ने बिल जी से पूछा की वैसे हुआ क्या था? बिल जी ने उसे पूरी बात बताई और अंत में कहा की “में जानता हूं की मेरे लिए ईश्वर ने कही दूसरी जगह पर इससे भी अच्छी नौकरी निश्चित कर रखी है। इसलिए मुझे इस नौकरी से निकाल दिया हुआ है।
और वे अपने मित्र से कहते हैं की मेरी फिलोसोपी के अनुसार जब एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा दरवाजा अपने आप खुल जाता है। बशर्ते अगर आप में आस्था हो और आप स्थिति को ईश्वर के हाथो में सौप दें तो।
उसके कुछ ही दिनों के बाद बिल जी को उस मित्र का फिर से फोन आया और उससे कहा की उसकी कंपनी में बहुत समय से एक पद खाली है और उससे पूछा की क्या तुम उस पद पर काम करना चाहोगे? फिर बिल जे ने उस पद पर काम करने के लिए हां कहा।
उस पद पर कुछ दिन काम करने के बाद बिल जी को यह अहसास हुआ कि उनका नया काम ठीक वैसा ही है, जैसा वह हमेशा से ही करना चाहते थे। उसके बाद बिल जी अपने काम के बारे में इतने प्रेरित और रोमांचित हो गए की पुरानी नौकरी को लगभग भूल ही गए।
दोस्तो यहां पर इस बात का विश्लेषण करना बहुत महत्वपूर्ण है की सकारात्मक सोच ने काम क्यों किया। ऐसा नहीं है की किसी ने जादू की छड़ी घुमाई और नौकरी हवा मे से प्रकट हो गई। यहां पर एक निश्चित वैज्ञानिक सिद्धांत काम कर रहा था।
दोस्तो जब बिल जी के दिमाग में द्वेष , क्रोध और नफरत भरी थी, तो वे कर्मचारी के रूप में अपने मूल्य को नष्ट कर रहे थे। और ऐसे करके वे अपने लिए नई नौकरी ढूंढने के काम को मुश्किल बना रहे थे। अपने मित्र से मिलते समय अगर बिल जी का रवैया कटु और रक्षात्मक होता, तो क्या आपको लगता है की उसके मित्र ने नई नौकरी के लिए उसका नाम सुझाया होता? नही ना।
दोस्तो इसीलिए हमेशा सकारात्मक सोचने का प्रयास करते रहिए। मुझे भी पता है और आप सभी को भी पता है की स्टार्टिंग में ये काम इतना आसान नहीं होता है, लेकिन आपको बार बार प्रयास करते रहना है और फिर एक दिन ऐसा जरुर आएगा, जब आप दिन में ज्यादातर समय सिर्फ सकारात्मक ही सोचने लग जायेंगे।
दोस्तो सकारात्मक सोच का मतलब यह है की परिस्थितियों को इस दृष्टिकोण से देखना की जिंदगी में अच्छी चीजे भी होंगी और बुरी चीजे भी होंगी, लेकिन आपको अच्छी चीजों पर ही ज्यादा ध्यान देना है। और जब आप ऐसा करते हैं, तो अच्छी चीजों में वृद्धि होती है।
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सफलता दिलाने वाला फॉर्मूला
दोस्तो इस अध्याय में लेखक नॉर्मन विंसेंट पिल जी ने सफलता दिलाने वाले 3 फॉर्मूले दिए हुए है, दोस्तो अगर आपने इन 3 फॉर्मूलों को अपने जीवन में implement किया, तो आपको सफलता अवश्य प्राप्त होंगी। तो चलिए जानते हैं।
- कोशिश करें, सचमुच कोशिश करें।
- सोचे, सचमुच सोचे।
- विश्वास करें, सचमुच विश्वास करें।
दोस्तो इन तिन्हों तरीको के बारे में आपको अच्छे से समझाने के लिए में आपको कुछ रीयल लाइफ एग्जांपल दे देता हूं। तो सबसे पहले जानते हैं की आखिर क्या है “कोशिश करें , सचमुच कोशिश करें” फॉर्मूला और इसे अपने जीवन में कैसे इंप्लीमेंट करें।
1. कोशिश करें , सचमुच कोशिश करें।
दोस्तो कोशिश करें , सचमुच कोशिश करें फॉर्मूला आपको ज्यादा आकर्षक नही लग रहा होंगा, क्योंकि कोशिश करना बहुत मुश्किल हो सकता है। और जो लोग कोशिश करते भी हैं, तो उनमें इतनी लगन नही होती है की वे लगातार कोशिश करते रहें।
दोस्तो आपने आखरी बार अपनी असफलता को खुद से दूर करने के लिए पूरी लगन से कब कोशिश की थी, और सचमुच कोशिश की थी। ज्यादातर असफलताएं सिर्फ इसी तथ्य के कारण उत्पन्न होती हैं, क्योंकि हम कम लगन के साथ लगातार कोशिश नही करते।
दोस्तो क्या आप सचमुच अपनी असफलताओं से उबरना चाहते हैं और पूरी लगन के साथ सचमुच कोशिश करके अपने जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं? तो आपको आगे आने वाली रीयल लाइफ स्टोरी जरूर पढ़नी चाहिए।
दोस्तो अगर आप इस कहानी को ध्यान से पढ़ते हैं, तो आपको सीखने को मिलेगा की सचमुच कोशिश कैसे करते हैं और आस्था की शक्ति का सहारा कैसे लिया जाता है। तो चलिए कहानी की शुरुआत करते हैं।
दोस्तो एक बार एक छोटे से गांव के एक घर में एक अपाहिज लड़की पैदा हुई। जब उसका जन्म हुआ था तब उसके दोनों कूल्हे अपनी जगह पर नही थे और डॉक्टरों का भी कहना था की ये लड़की कभी भी चल नही पाएगी।
लेकिन जब ये लड़की बड़ी हुई तो इस लड़की ने दूसरो को चलते देखा, तो इस लड़की ने मन ही मन ईश्वर से कहा कि “हे ईश्वर मेरी मदद करो, में जानती हु की आप मुझसे बहुत प्रेम करते है। इसीलिए मुझे खड़े होने में और चलने में मेरी सहायता कीजिए।”
जब वो लड़की 6 साल की थी तब उसको चलना आता नही था, जिसके कारण वो बहुत निराश रहती थीं। बहरहाल , एक दिन उस लड़की ने दो कुर्सियों के बीच में खड़े होने की कोशिश की और वो गिर गई। लेकिन फिर भी उसने कोशिश करना नही छोड़ा और वो लगातार कोशिश करती रही।
वो लड़की हर दिन ईश्वर से बातें करती रहती थीं और बार बार प्रयास करती रहती थी। जिसके कारण हुआ यू की वो एक दिन कुछ सेकंड के लिए खड़ी रहीं। तब वो लड़की बता नही सकती थीं की वो अपने पैरो पर जब खड़ी हुई थी तब उसको कितनी ज्यादा खुशी हुई थी। और इस खुशी में उसने अपनी मम्मी को चीखकर बुलाया।
उसको अब ये विश्वास हो गया था की वो अब खड़ी होकर चल सकती हैं। और उसके बाद वो दुबारा से नीचे गिर गई। फिर उसकी मां ने उसको झाड़ू का एक सिरा पकड़ा दिया और दूसरा सिरा खुद थामकर बोली “एक कदम आगे बढ़ाओ, फिर दूसरा कदम आगे बढ़ाओ और इसी तरह आगे कदम बढ़ाती जाओ”
इसी तरह इस लड़की के मन में जो आस्था थी और ईश्वर के प्रती उसके मन जो कृतज्ञता थी, उसके वजह से उसे चलने में बहुत मदद मिली। और आखिरकार वो चलने लगी। हाला की वो आड़ी तिरछी चलती थी, लेकिन इसके लिए भी वो ईश्वर के प्रती बहुत कृतज्ञ थी।
उसके बहुत सालो के बाद एक एक्सीडेंट में उसका बायां टखना टूट गया और अस्पताल में उसके पैरो के एक्सरे लिए गए। इसके बाद डॉक्टरों ने उसके पास आकर पूछा की आपके कुल्हो में जोड़ या खांचे है ही नही, तो आप खड़ी कैसी होती है और आप चल कैसी लेती है?
फिर उस महिला ने कहा की ईश्वर मेरा डॉक्टर है और मुझे उस पर पूरा भरोसा है। जिसके कारण में चल फिर लेती हूं। फिर डॉक्टर ने कहा की दुर्घटना, रखने की चोट और बुढ़ापे के कारण शायद आप अब दुबारा कभी चल नहीं पाएगी। लेकिन ईश्वर ने इस महिला को फिर से मदद की और वो महिला अपने बुढ़ापे में भी चलने लगी।
अब ये महिला नौकरी भी करती है और उसके साथ ही अपने ४ बच्चो की देखभाल भी करती है। दोस्तो उसने 17 साल तक घुटनो पर बैठकर फर्श साफ की हुई है और वो अपनी जिन्दगी में कभी भी बीमार नहीं पड़ी है।
क्योंकि यह महिला जानती थीं की सचमुच कोशिश करना क्या होता है। और इसके साथ ही वो हर दिन ईश्वर से बातें करती थीं और उस पर भरोसा रखकर बार बार प्रयास करती रहती थीं। और उसको अपने मां के द्वारा दी गई वो सलाह भी याद थी।
जो यह कहती हैं की “एक कदम आगे बढ़ाओ, फिर दूसरा कदम आगे बढ़ाओ और इसी तरह आगे कदम बढ़ाती जाओ” और दोस्तो यही कोशिश करने का असली मतलब है। अगर आप इस महिला की तरह सचमुच कोशिश करते रहेंगे तो आपको भी इस महिला की तरह सफलता अवश्य मिलेगी।
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2. सोचे, सचमुच सोचे।
दोस्तो असफलता के जाल से बाहर निकलने का दूसरा फॉर्मूला है “सोचना , सचमुच सोचना” यानी की सकारात्मक रूप से सोचना। मुझे पूरा विश्वास है की सकारात्मक विचार की शक्ति इतनी महान है की आप इस तरह सोचकर किसी भी असफलता से उबर सकते हैं।
इस फार्मूले को आपको अच्छे से समझाने के लिए में आपको एक रीयल लाइफ एग्जांपल देता हूं, जो आपको सिखाएगा की सकारात्मक रूप से कैसे सोचा जाता है, तो फिर चलिए जानते हैं।
दोस्तो एक चौदह साल का लड़का था, जिसने अख़बार में एक विज्ञापन देखा। उस विज्ञापन में उसकी उम्र के लड़के के लिए एक नौकरी का ज़िक्र था। अगली सुबह ऑफ़िस में पहुँचने पर उसने देखा कि वहाँ पर बीस लड़के पहले से ही खड़े हुए हैं।
फिर वो लड़का थोड़ा निराश हो जाता, लेकिन उस लड़के में स्थिति का सामना करने की योग्यता थी। उसने सोचा और उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया। देखिए, इंसान का दिमाग सोचने वाली ऐसी अद्भुत मशीन है, जिसे ईश्वर ने इस तरह बनाया है, कि उसका इस्तेमाल करके इंसान अपनी समस्याओं को सुलझा सकता है।
दोस्तो उस लड़के की मानसिकता नकारात्मक नहीं थी और वह सोच सकता था और सचमुच सोच सकता था, इसलिए उसके दिमाग में एक विचार आया। अच्छी तरह सोचने के बाद उसने एक कागज़ पर कुछ पंक्तियाँ लिखीं और फिर वह लाइन से बाहर निकला।
और अपने पीछे खड़े लड़के से अपना स्थान सुरक्षित रखने का अनुरोध करने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ऑफिसर की सेक्रेटरी के पास गया। और उसने विनम्रतापूर्वक सेक्रेटरी से कहा, मिस, क्या आप अपने बॉस को यह पत्र दे देंगी ?
फिर वो सेक्रेटरी उस लड़के से प्रभावित हुई क्योंकि वह विनम्र शालीन और सभ्य लग रहा था। किसी घटिया लड़के को उसने बेशक झिड़क दिया होता, लेकिन यह लड़का अलग था और उसमें शक्ति नामक आकर्षक, अबूझ गुण था।
इसलिए सेक्रेटरी ने उसके आग्रह को मान लिया और उसके पत्र को अपने बॉस के पास ले गई। बॉस पत्र पढ़कर हँसा और उसे अपनी सेक्रेटरी की तरफ बढ़ा दिया। वह भी इसे पढ़कर हँसने लगी। क्योंकि उस पत्र में यह लिखा था की,
महोदय, मैं लाइन में इक्कीसवाँ लड़का हूँ और जब तक आप मेरा इंटरव्यू न ले लें, तब तक कृपया कोई फ़ैसला न करें।
दोस्तो क्या उसे नौकरी मिली होंगी ? आपको क्या लगता है ? इस तरह का लड़का निश्चित रूप से तरक्की करेगा और बड़े काम करेगा। हालाँकि उसकी उम्र कम थी, लेकिन वह जानता था कि सचमुच कैसे सोचा जाता है।
उसने समस्या का तत्काल आकलन करने और उस पर पूरी शक्ति से चोट करने और सर्वश्रेष्ठ कोशिश करने की योग्यता विकसित कर ली थी। अगर समस्या का कारण आप खुद हैं , जैसा कि जिंदगी के ज्यादातर मामलों में होता है , तो सोचने पर , सचमुच सोचने पर समाधान निश्चित रूप से और ज्यादा आसानी से सामने आ जाते है।
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3. विश्वास करें, सचमुच विश्वास करें।
दोस्तो अंत में विश्वास करें, सचमुच विश्वास करें। आप विश्वास करें की आप सफल होंगे और जब आपने यह विश्वास होंगा , तो आप विजय प्राप्त करने की दिशा में लगातार कोशिश करेंगे। बाइबल आस्था के बारे में इतनी बात क्यों करती है?
क्योंकि अगर आपको सचमुच विश्वास हो, तो आप बहुत बड़े काम कर सकते हैं। अगर आपको यकीन है की आप कर सकते हैं, तो आप सचमुच कर सकते हैं। विश्वास करने से रचनात्मक और प्रचुर अच्छाई के मार्ग खुल जाते हैं।
और विश्वास से मुश्किल से भी मुश्किल परिस्थितियों में भी शक्ति प्रवाहित कर देता है। इसलिए सिर्फ विश्वास न करे बल्कि सचमुच विश्वास करे। तो फिर आपको सफल और कामयाब व्यक्ति बनने से कोई भी नही रोक पायेगा।
दोस्तो यह थे वो सफलता दिलाने वाले 3 फॉर्मूले, आप सभी को ये ३ फॉर्मूले कैसे लगे? और क्या आप अपनी लाइफ में इन सफलता दिलाने वाले 3 फॉर्मूलो का इस्तमाल अपने जीवन में करना चाहते हैं? तो ये हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं।
दोस्तो इसके अलावा इस किताब में बहुत कुछ सीखने को मिलता है, अगर आप बाकी के अध्यायों पर भी आर्टिकल्स पढ़ना चाहते हैं? तो हमे नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताए। हम आपके लिए बाकी के अन्य अध्यायों पर भी आर्टिकल जरूर लिखेंगे।
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