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Knowledge Grow > Book Summaries > Self Help Books > मन सताए तो क्या करें बुक समरी (With Ebook Download)

मन सताए तो क्या करें बुक समरी (With Ebook Download)

Last updated: 31/05/23
By Shridas Kadam
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33 Min Read
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Man Sataye To Kya Kare Book Summary (With Ebook Download)

नमस्कार दोस्तों आप सभी का नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तो आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ Sirshree द्वारा लिखी हुई किताब “मन सताएं तो क्या करें” किताब की हिंदी समरी शेयर करने वालें है।

दोस्तों अगर आप मन सताएं तो क्या करें बुक समरी को आखिर तक ध्यान से पढ़ते है? तो इस बुक समरी जरिये आपको आपके मन के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलने वाला है। इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़िए।

Contents
मन सताए तो क्या करें बुक समरी (With Ebook Download)मन ही समस्या और मन ही समाधान हैहमारा मन हमे क्यों सताता है और उसके कारण क्या है?हमारा मन हमे सताए तो क्या करे?Man Sataye To Kya Kare Book Pdf Free Download

Man Sataye To Kya Kare Book Summary

मन सताए तो क्या करें बुक समरी (With Ebook Download)

दोस्तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए, क्योंकि इस आर्टिकल के जरिए आपको जानने को मिलने वाला है की हमारा मन हमे क्यों सताता है और उसके क्या क्या कारण है? और उसके साथ ही अगर हमारा मन हमे सताए तो क्या करें? इसका भी सोलूशन आपको जानने को मिलने वाला है।

यानी की दोस्तो इस आर्टिकल के जरिए आपको मन से मन द्वारा मुक्ति के 7 उपाय जानने को मिलने वालें है। इसीलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए। तो बिना समय को गंवाए चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।

मन ही समस्या और मन ही समाधान है

दोस्तों आप कल्पना करें, एक ऐसे इंसान की जो किसी बगीचे से गुज़र रहा है और उसके हाथ में एक बम है। और यह एक ऐसा बम है, जो किसी को नुकसान भी पहुँचा सकता है या किसी का भला भी कर सकता है।

उस बम की वजह से उसके अंदर अलग – अलग तरह के विचार आ रहे हैं। कई सारे नकारात्मक और सकारात्मक भावनाओं ने उसे घीरा हुआ है। वह पूरी तरह से बेचैनी की हालत में है और समझ नहीं पा रहा है कि इसे कैसे हैंडल करे?

क्योंकि यह कोई साधारण बम नहीं है। इस बम को अगर वह किसी और पर फेंकेगा तो वह बम खुद ब – खुद वापस उसी के ऊपर आकर गिरेगा ! इसी कारण से वो उस बम को न ही लेकर चल पा रहा है और न ही किसी और को दे पा रहा है।

अगर कोई इंसान ऐसी परिस्थिति में है तो आप उसे क्या सलाह देंगे? ज़ाहिर सी बात है! ऐसे इंसान के पास सिर्फ दो ही रास्ते बचते हैं या तो वह ज़िंदगीभर दुःख और परेशानी में जीवन जीए या उस बम के साथ जैसी परिस्थिति है , उसे स्वीकार करके सँभलकर सतर्कता से जीवन जीए।

कुछ लोगों के मन में तीसरा तरीका भी आ रहा होगा कि कैसे उस बम को डिफ्यूज किया जाए? या कैसे उसका उच्चतम उपयोग किया जाए आदि। कुछ भी सोचने से पहले यह जान लें कि यहाँ कोई बाहर के बम के बारे में नहीं बल्कि आपके मन के बारे में बताया जा रहा है।

जी हाँ दोस्तो ! बम यानी आपका मन , जिसे आप हर वक्त साथ में लेकर चलते हैं। यह मन तब तक बहुत अच्छा है , जब तक आप उसका बेहतर इस्तेमाल करते हैं, उससे नया कार्य करवाते हैं, नई तरकीबें लाते हैं या किसी के लिए अच्छा सोचते हैं या कोई समस्या सुलझाते हैं आदि।

लेकिन यदि इस मन का सही ढंग से इस्तेमाल न किया जाए तो यही मन आपके दुःख और परेशानी का कारण बनता है। इंसान को अपने मन को सँभालना नहीं आता है, इसलिए अकसर वह उससे लड़ता , झगड़ता है और परेशान होता रहता है।

दोस्तो जीवन में अधिकांश लोगों की यही समस्या है कि उन्हें मन के साथ क्या करना है यह पता ही नहीं होता। जैसे की

  • कहाँ मन की सुननी है
  • कहाँ उसे चुप कराना है?
  • उसकी कौन सी बात पर विश्वास करना है?
  • कौन सी बात पर नहीं करना है ?

अतः हर इंसान को अपने मन के बारे में गौर से सोचना चाहिए कि कहाँ उसका मन उसे सताता है और कहाँ हँसाता है , कहाँ गुस्सा दिलाता है। यदि मन के बारे में हर दिन यह अभ्यास किया जाए तो यही मन बिल्ली की तरह आपका अच्छा सहयोगी बनेगा।

दोस्तो में आपको एक उदाहरण देकर समझाने की कोशिश करता हूं।

एक इंसान के पास एक बिल्ली थी, जिसे वह बड़े ही प्यार से घर लेकर आया था। शुरुआत में उसे बिल्ली से बड़ा ही लगाव था। मगर जैसे – जैसे समय बीतने लगा , उसे बिल्ली से परेशानी होने लगी। क्योंकि वह बिल्ली हमेशा उस इंसान के पीछे – पीछे रहती थीं।

जब देखो तब खाने की चीज़ों में मुँह मारती थी, जब तक उसे खाना न दो, वह पीछा नहीं छोड़ती थी। एक दिन बिल्ली से पीछा छुड़वाने के लिए वह इंसान उसे कहीं दूर छोड़कर आया मगर बिल्ली फिर उसके पीछे चली आई।

दूसरे दिन वह बिल्ली को रेलवे ट्रैक पर छोड़ आया मगर कुछ समय बाद बिल्ली फिर से घर वापस आ गई। ऐसा कई बार होने पर वह उसे जंगल में छोड़ने गया मगर घर वापस आते वक्त खुद ही घर जाने का रास्ता भूल गया। परेशानी की हालत में सोचने लगा कि अब क्या करें ?

तो उसे वही बिल्ली दिखाई दी और वह उसके पीछे – पीछे अपने घर तक पहुँचा। ऐसा ही कुछ हमारे जीवन में भी होता है। जिस मन से हम परेशान होते रहते हैं , दरअसल वही मन हमारी खुशी और विकास का कारण बन सकता है।

अगर उसे सही प्रशिक्षण दिया जाए तो वही मन हमें समस्याएँ , दु:ख , परेशानी के जंगल से (बिल्ली की तरह) वापस भी ला सकता है। जैसे जो सीढ़ी ऊपर जाती है, वही नीचे भी आती है , उसी तरह मन द्वारा ही मन की परेशानी से मुक्त हुआ जा सकता है।

इस मन को ऐसा कुछ मिले कि वह भले ही चंचल हो मगर हम उसका इस्तेमाल अपनी आज़ादी , खुशी और शांति पाने के लिए कर पाएँ। ऐसा होने के लिए ज़रूरत है बस मन को सही समझ और दिशा मिलने की, फिर यही मन हमें हर परिस्थिति में आनंद देगा।

मन को यदि सही दिशा और समझ नहीं है तो वह खुद को सताता है , खुद को ही हंटर मारता है। उसे कोई रोकता नहीं है इसलिए यह खेल चलता रहता है। अब समय आया है मन को समझाने का कि तुम अपने आपको ही परेशान कर रहे हो, अब रुक जाओ, अब नई बातों पर ध्यान दो, अपनी समझ बढ़ाकर नई दिशा की ओर बढ़ो।

  • जरुर पढ़े: Jeet Aapki Book Summary in Hindi Me

हमारा मन हमे क्यों सताता है और उसके कारण क्या है?

दोस्तो मन के सताने के मुख्य सात कारण है, तो चलिए जानते हैं उन 7 कारणों के बारे में। आकाश में जैसे बादल मनमौजी की तरह विहार करते हैं , ठीक वैसे ही हमारे मन के आकाश में विचार मनमौजी की तरह स्वतः ही चलते रहते हैं। इतना ही नहीं, हर विचार में सुख या दुःख निर्माण करने की शक्ति होती है।

विचार से भावना उत्पन्न होती है, जो हमें कभी खुशी कभी गम के भँवर में डालती रहती है और इस चक्र में हम दिन – रात घूमते रहते हैं। यदि हम इस चक्र से बाहर आना चाहते हैं तो ज़रूरत है बस मन को समझने की कि वह कैसे कार्य करता है, कब हमे सताता है और कब शांत होता है।

दोस्तों इंसान अपने मन को छोड़कर , हर चीज़ के बारे में जानना और समझना चाहता है, तथा उसके लिए वह नए – नए प्रयोग भी करता है। मगर अपने मन के बारे में वह बहुत कम जानता है। वह नहीं जानता कि उसका मन कैसा है? घटनाओं में वह कैसा सोचता है?

दोस्तों आइए एक प्रयोग द्वारा अपने मन को समझने का प्रयास करते हैं। इसमें आपको अपने मन के बारे में ही जानना है और देखना है कि दिनभर वह किस तरह के विचार ज़्यादा करता है – नकारात्मक या सकारात्मक ; समस्या के बारे में ही सोचता है या समाधान ढूँढ़ने का प्रयास भी करता है।

लोगों को सिर्फ दोष देता है या उनके बारे में अच्छा भी सोचता है इत्यादि। आप इस तरह कुछ क्षण मनन करें कि मेरे मन में किस तरह के विचार ज़्यादा चलते हैं। इस प्रयोग का उद्देश्य यह है की आप अपने मन के बारे में और भी गहराई से जान सकें।

यह प्रयोग आपके अंदर पहली जागृति लाएगा और आपको परेशान होने से रोकेगा। अगर आप मनन करेंगे तो आप पाएँगे कि ऐसे सात मुख्य कारण हैं , जब आपका मन आपको ज़्यादा सताता है। जो कुछ इस प्रकार हैं 👇👇👇

1. मन की पूरी समझ न होना :

दोस्तो हमारा मन हमें हर समय कठपुतली की तरह नचाता है और हम भी बिना सोचे समझे उसकी बातें मानते चले जाते हैं। ऐसा क्यों होता है? असल में हमें मन क्यों दिया गया है और मन का उपयोग क्या है और उसके काम करने का तरीका क्या है , यह हमें पता नहीं होता है।

मन में जैसे ही कोई विचार आता है , मन को उस विचार के साथ खेलने का मौका मिल जाता है। उस विचार से जुड़ी किसी पुराने अनुभव की कड़ियाँ ढूँढ़ – ढूँढ़कर मन नई नई कहानियां सुनाने लगता है। कभी तुलना तो कभी तोलनेवाला तोता बन जाता है।

कभी शेखचिल्ली की तरह ऊँचे – ऊँचे महल खड़े कर देता है और उसकी बातों में फँसकर हम परेशान हो जाते हैं। अब हम मन को समझकर और उसे समझाकर कार्य करने वाले हैं ताकि वह हमें न नचाए बल्कि हम उसका उच्चतम उपयोग कर पाएँ।

  • जरूर पढ़े: जानिए कैसे एक छोटा सा कदम आपकी जिंदगी बदल सकता है।

2. जीवन में आनेवाली समस्याएँ :

इंसान के जीवन में जब कोई समस्या आती है तब चिंता और परेशानी के कारण उसका मन उसे सताने लगता है। चींटी जैसी छोटी समस्या को भी मन हाथी की तरह बड़ा बना देता है। जिस वजह से लोग सही समाधान पर पहुँच ही नही पाते।

ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं , जो समस्याओं में अपने आपको शांत रखकर उसका सही समाधान ढूँढ़ पाते हैं। वे जानते हैं कि समस्या घटनाओं में नहीं है बल्कि विचारों में है। अत : समस्या आने पर परेशान ना होकर शांति से सोचेंगे तो आप पाएँगे कि सारे समाधान आपके अंदर ही मौजूद हैं।

3. विचारों को दिशा न होना :

मन सताने का तीसरा कारण है – विचारों को दिशा न होना। आपने अक्सर ये देखा होगा कि मन कितनी तेज़ गति से भागता है। एक पल में आप एक घटना के बारे में सोच रहे होते हैं, जो दस साल पहले हुई थी। और दूसरे ही क्षण आप कुछ अलग विचार कर रहे होते हैं , जो भविष्य की चिंता है। अगर आप अपने विचारों को सही दिशा दे पाएँगे, तो आप मन का उच्चतम उपयोग हो पाएगा।

4. सच लगनेवाली झूठी मान्यता और अज्ञान:

मन सताने का चौथा कारण है , आपके अंदर की झूठी मान्यताएँ और अज्ञान। झूठी मान्यता यानी इंसान कुछ बातों को सच मानकर चलता है। जैसे खुशी आज नहीं बल्कि भविष्य में है, बिल्ली रास्ता काटकर गई तो काम नहीं होता, इतनी मंदी में लोगों को जॉब नहीं मिलेगा, अमीर लोग और अमीर बनते जा रहे हैं और गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं आदि।

दोस्तों इस तरह हरेक कोई न कोई धारणा लेकर जीवन जीता है , जिस वजह से उसे उसका मन उसे परेशान करते रहता है। अज्ञान यानी किसी विषय के बारे में जानकारी न होना। कम ज्ञान की वजह से लोग डर और चिंता से घिरे रहते हैं।

अज्ञान की वजह से इंसान यह जानने की कोशिश भी नहीं करता कि जो मान्यताएँ उसने पाल रखी हैं , वे वाकई में सच हैं या में सिर्फ उसकी सोच मात्र है! जब इंसान ज्ञान की रोशनी से मान्यता और सच्चाई में फर्क जान जाता है तब वह परेशानी से मुक्त होता है।

  • ये भी जरूर पढ़े: बुद्ध से जाने अपने मन को कैसे नियंत्रित करे?

5. लोग और रिश्तेदार:

मन सताने का और एक मुख्य कारण है: आपके आस – पास के लोग और रिश्तेदार। हर इंसान के जीवन में कोई तो एक ऐसा होता है , जिससे वह हमेशा परेशान रहता है। चाहे वह उसका बॉस हो या सास , भाई हो या बाप ; बहू हो या पड़ोसी।

जब उसे ऐसे लोगों के साथ रहना पड़ता है या उनके साथ कार्य करना पड़ता है तब उसका मन उसे ज़्यादा सताता है। देखा जाए तो ज़्यादातर लोगों की यही शिकायत रहती है कि सामनेवाला दुर्व्यवहार करता है इसलिए मेरे जीवन में दुःख है।

ऐसे लोग अपनी खुशी का रिमोट कंट्रोल दूसरे लोगों के हाथ में देकर रखते हैं। वे दूसरों को सुधारने में अपना जीवन गँवा देते हैं। लेकिन उससे ना ही सामनेवाले में सुधार आता है और ना ही उनके दुःख में कमी आती है।

6. भावनाओं में बहने की आदतः

जब किसी घटना के साथ इंसान की भावना जुड़ती है, तब वह ज़्यादा परेशान होता है। क्योंकि इंसान अपनी भावनाओं को काबू में नहीं रख पाता है और उसमें बह जाता है। हर इंसान के अंदर कई भावनाएँ दबी हुईं होती हैं, जो अलग – अलग घटनाओं में बाहर निकलती हैं।

जैसे अगर किसी ने कुछ कह दिया तो उसे बहुत बुरा लगता है। किसी ने उसकी बात नहीं मानी तो वह नाराज़ हो जाता है, कोई अनचाही घटना हुई तो दुःखी हो जाता है। कई तरह की भावनाएँ समय – समय पर उभरती रहती हैं, जो इंसान को सताने का कारण बनती हैं।

7. अपने असली अस्तित्त्व की पहचान न होना:

मानव जन्म मिलना बहुत बड़ी कृपा है, मगर इंसान माया में उलझकर यह भूल जाता है। वह संसार को ही सब कुछ मानकर जीने लगता है, जिस वजह से मन भी माया की बातों को सच मान लेता है, और वह दुनिया से आसक्त हो जाता है।

अब मन को मन के परे जाने की कला सिखानी होगी। क्योंकि मन के परे का ज्ञान ही उसे समर्पित होकर , अपने असली अस्तित्त्व का दर्शन करवा पाएगा। यही ज्ञान उसे स्थायी रूप से सुख और शांतिभरा जीवन दे सकता है।

इन सातों कारणों को समझने का सबसे अच्छा उदाहरण है – कोरोना वाइरस के संक्रमण की घटना। इस महामारी के दौरान लोगों के मन में कैसी हलचल शुरू हो गई थी ! कोरोना वाइरस के संक्रमण को रोकने के लिए जब सारे देश को लॉकडाउन किया गया था तब हरेक ने मन की परेशानी को महसूस किया होगा।

हरेक के मन में यह दुविधा ज़रूर रही होगी कि टी.वी, वाट्सअप , फेसबुक या अन्य किसी सोशल मीडिया द्वारा दिखाई जानेवाली कौन सी बातों को सच माना जाए और कौन सी बातों को झूठ ? इस खौफनाक वातावरण में अज्ञान के चलते इंसान कई झूठी मान्यताओं के साथ जीता रहा।

उसके मन की गति के कारण वह कभी बीमारी के डर में रहा तो कभी सुरक्षित होने के भाव में जीता रहा। थोड़ी सी सर्दी – खाँसी होने पर मन आशंका से भर जाता कि कहीं वह कोरोना से ग्रसित तो नहीं हो गया!

घर पर रहने की वजह से परिवार में छोटी – छोटी बातों पर वाद – विवाद भी हुए होंगे, क्योंकि महिलाएँ काम से परेशान थीं तो पुरुष और बच्चे बोरडम की भावना से ! अब तक के स्पष्टीकरण से हमने यह जाना कि मन को समझ देकर उसे ही अपने जीवन का सारथी बनाया जाए, ताकि हम सुख – शांति के साथ जीवन का उच्चतम लक्ष्य भी पा सकें।

हमारा मन हमे सताए तो क्या करे?

दोस्तो अब में आपके साथ ऐसे एक ऐसा उपाय शेयर करने वाला हू, जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होंगा। इसके अलावा इस किताब में बहुत सारे अन्य तरीके और उपायों के बारे में भी बताया हुआ है। बाकी के अन्य तरीकों के और उपायों के बारे में जानने के लिए आप इस किताब की हिंदी PDF download करके पढ़ सकते हैं।

यह सोचने से मन शांत होंगा।

दोस्तो विश्वास कीजिए , इंसान को सबसे ज़्यादा परेशानी उसके अपने मन से होती है। जी हाँ ! मन , जो इंसान को दिखाई नहीं देता है। हर इंसान को यही लगता है कि सामनेवाला इंसान , घटनाएँ , दृश्य , परिस्थितियाँ उसकी परेशानी का कारण है मगर हकीकत यह है कि इन सभी में इंसान को असल में जो परेशान करता है , वह है उसका मन !

जैसे कोई इंसान आपको गाली देकर जाए तो आपका मन आपको चैन से बैठने नहीं देता। वह लगातार आपको सताता रहता है , जब तक कि आप उस इंसान को दो बातें सुना नहीं देते। सामनेवाला तो आपको एक बार ही गाली देता है, मगर आपका मन आपको दसियों बार वही गाली सुनाता ( याद दिलाता ) है।

जिस वजह से आप परेशानी का शिकार हो जाते हैं। उसी तरह जब कोई आपकी तारीफ करता है तो आप फूले नहीं समाते। आपका मन तारीफों के जुमले सोच – सोचकर खुश होते रहता है। हालाँकि वह इंसान एक बार तारीफ करके चला गया, मगर मन उसे याद करके सुकून और आनंद महसूस करता है।

दोस्तो कहने का अर्थ है की लोगों या घटनाओं का इंसान के मन पर उतना असर नहीं होता , जितना की उसके खुद के विचारों का होता है। फिर वह अच्छा हो या बुरा। अतः समझें कि यह मन आपके लिए वरदान भी है और अभिशाप भी।

मन का महत्व:

जरा सोचिए , अगर हमारा मन ही न हो तो इंसान का जीवन कैसा होगा? दोस्तो क्या बिना मन के आप जीवन जीना चाहेंगे। आइए , मन के महत्त्व को एक काल्पनिक उदाहरण से समझते हैं। कल्पना करें एक ऐसे इंसान की , जो कोमा में है।

उसे कोमा से बाहर लाने के लिए डॉक्टर के पास दो प्रकार के इंजेक्शन उपलब्ध हैं और दोनों इंजेक्शनों की विशेषताएँ अलग अलग हैं। डॉक्टर ने आपको उन दोनों में से एक ही इंजेक्शन चुनने का मौका दिया तो आप उनमें से कौन सा इंजेक्शन चुनेंगे?

पहला इंजेक्शन इंसान को कोमा से बाहर तो लाएगा मगर इससे इंसान सिर्फ यांत्रिक किस्म का यानी मैकेनिकल जीवन जीएगा बिलकुल रोबोट की तरह। आप उसे वे सारी गतिविधियाँ करते हुए देखेंगे , जो एक सामान्य इंसान करता है।

जैसे उठना बैठना , खाना – पीना , बातें करना और लोगों से व्यवहार करना। इसके साथ ही वह टी.वी. देखना , पार्टीज में जाना , काम पर जाना आदि गतिविधियाँ भी कर सकेगा। यानी वह अपनी सभी सांसारिक ज़िम्मेदारियों को पूरा कर पाएगा।

आखिरकार जब उसका समय आएगा तो वह संसार से विदा हो जाएगा। लेकिन उसमें एक कमी होगी वह यह है कि उसका मन यानी उसके भाव और विचार निष्क्रिय हो जाएँगे। उसमें सोचने और समझने की शक्ति नहीं रहेगी। वह भावनाओं और संवेदनशीलता के द्वार बंद कर चुका होगा।

वह करुणा , सहानुभूति , धैर्य , साहस , प्रेम , खुशी , निराशा जैसे भावों को महसूस नहीं कर पाएगा। वह लंबी उम्र तक जीवन तो जीएगा मगर एक रोबोट की तरह। दूसरे इंजेक्शन के साथ वह सामान्य जीवन जी पाएगा। उसका मन पहले की तरह कार्य कर पाएगा , वह अपने अंदर सारी भावनाओं को महसूस कर पाएगा।

  • ये भी जरूर पढ़े: अपने मन को शांत करना चाहते हैं, तो गौतम बुद्ध के जीवन की इस कहानी को जरूर पढ़े।

उसे दुःख , चिंता , तनाव , निराशा , हार या जीत जैसी भावनाओं के तूफान का सामना करना पड़ेगा , जिसके चलते वह कभी – कभी रास्ता भी भटक जाएगा। मगर इस बात की भी पूरी संभावना है कि वह जीवन के उतार – चढ़ावों का सामना करके एक विजेता की तरह उभरेगा।

वह कोई अनमोल चीज़ की रचना कर पाएगा , जो दुनिया में बदलाव लाएगी। दोनों इंजेक्शनों की विशेषताएँ जानने के बाद , अब आप कौन से इंजेक्शन का चुनाव करेंगे और क्यों ? कुछ देर इस पर मनन करें।

जब आपका चुनाव हो जाए तो खुद को उस इंसान की जगह पर रखकर देखें और अपने चुनाव पर विचार करें। अब जिन्होंने पहले इंजेक्शन को चुना है , वे समझें कि यह चुनाव गलत नहीं है। मगर इस चुनाव में इंसान के विकास की संभावना कम हो जाती है।

यदि उसमें सोचने – समझने की शक्ति ही नहीं है तो वह जीवन में ज़्यादा कुछ सीख नहीं पाएगा क्योंकि उसके लिए हार जीत , सुख – दु:ख , मान – अपमान सब एक समान ही है। उसे ना कुछ पाने की खुशी है और ना ही कुछ खोने का दुःख है।

इसलिए जिन भी लोगों ने पहले इंजेक्शन को चुना है , उन्हें अपने चुनाव पर फिर से मनन करना चाहिए। लेकिन जिन लोगों ने दूसरे इंजेक्शन का चुनाव किया हुआ है , वे बधाई के पात्र हैं क्योंकि वे जीवन में मन का महत्त्व समझ रहे हैं।

यदि मन न हो तो इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं रह जाएगा। जानवर भी अपना कार्य करते हुए जीते हैं मगर वे कुछ नया निर्माण नहीं कर पाते। विश्व को आगे बढ़ाने में उनका योगदान नहीं होता। जबकि इंसान अपने मन और विवेक की शक्ति से विकास की तरफ बढ़ता है।

घटनाओं में हमारे मन में जो भावनाएँ उभरती हैं, जो विचार उठते हैं , वे दरअसल कुदरत द्वारा हमें मिला हुआ तोहफा है। क्योंकि नकारात्मक भावनाएँ आने पर ही हम उससे मुक्त होने के लिए कुछ नया सोचते हैं ; हम जहाँ हैं , उससे आगे बढ़ने का प्रयास कर पाते हैं।

याद करें , आज तक जीवन में जब भी दुःख आया है , मन ने आपको बहुत सताया है या कोई परेशानी आई है तब जाने – अनजाने में सही आपका विकास ही हुआ है। भले आपको उस समय बहुत तकलीफ से गुज़रना पड़ा हो। मगर उसके बाद आपने देखा होगा कि आपने उनसे कुछ सीखा ही है।

इसलिए मन के सताने को दुःखद ना समझें क्योंकि वह आपके विकास का कारण है। मान लें , किसी के जीवन में असफलता आई और उसे उसका कोई दुःख नहीं हुआ , उसके मन ने कुछ कहा ही नहीं तो क्या उसका विकास होगा ? जवाब है- कभी नहीं।

क्योंकि सिर्फ घटना होना काफी नहीं है , उसके बाद जो विचार या भावनाएँ उठती हैं , वे इंसान के जीवन में बल का कार्य करती हैं और यही बल विकास का कारण बनता है। ‘ दूसरे इंजेक्शन ‘ का चुनाव करना ही उच्च विकल्प है।

आगे से जब भी आपका मन आपको सताए या आपको दु:खी , उदास , मायूस या परेशान महसूस करवाए तो खुद को याद दिलाएँ कि ‘ हमारे लिए दूसरे इंजेक्शन का चुनाव हो चुका है। जिस कारण ये सब बातें हमारे साथ होना स्वाभाविक है।

इस बात के लिए धन्यवाद देना न भूलें कि आप कोमा में नहीं हैं , न ही रोबोट की तरह जीवन जी रहे हैं। इस बात को स्वीकार करने के बाद आप खुद को बधाई दे पाएँगे कि आप विकास यात्रा में सफलता पाने के कगार पर खड़े हैं , जिससे आपके आस – पास के लोगों को भी सहयोग मिलने वाला है।

दोस्तों यह सोचने से मन शांत होगा । हमें मन क्यों दिया गया है ? जैसे एक कैटरपिलर अपने ककून (कोश या सुरक्षा कवच) से बाहर आने का प्रयास करता रहता है। इसके लिए वह बार – बार उस ककून पर दबाव डालता है और इस प्रक्रिया से उसके पंख मज़बूत होते जाते हैं।

फिर वह जल्द ही एक सुंदर तितली के रूप में सामने आता है। अगर कैटरपिलर ककून पर दबाव नहीं डालेगा तो उसी के अंदर फँसा रहेगा और अपनी उच्च संभावना को खोलने से वंचित रह जाएगा।

ठीक इसी तरह जब भी आप असहज विचारों या भावनाओं से गुज़रते हैं तो याद रखें कि उनके चलते आप अपनी छिपी हुई क्षमताओं को उजागर कर रहे होते हैं। इसीलिए जब आप नकारात्मक विचारों और भावनाओं के तूफान का सामना कर रहे हों तो खुद से कहें , ‘ ईश्वर मेरी रक्षा कर रहा है और ये सब कैटरपिलर से सुंदर तितली बनने की प्रक्रिया का एक हिस्सा मात्र है।

मन मुझे सुंदर तितली बनने में मदद कर रहा है, यह सोचने से आपका मन शांत हो जाएगा। याद रखें , आपके जीवन में नकारात्मक भावनाओं और विचारों का आना दरअसल आपको मिले वरदान का प्रतीक है , न कि कमज़ोरी का।

पृथ्वी पर ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं , जहाँ लोगों ने मुश्किल हालातों के आगे कभी हार नहीं मानी, बल्कि उन्हें ही ढाल बनाकर विकास पथ की ओर अग्रेसर होते रहे। अत : आप भी इस मन के महत्त्व को जानकर उससे परेशान होना छोड़ दें और उसे अपने विकास के लिए निमित्त बनाएँ।

दोस्तो आज के इस “मन को सताएं तो क्या करें बुक समरी” में सिर्फ इतना ही, दोस्तो इसके अलावा इस किताब में बहुत सारे अन्य तरीके और उपायों के बारे में भी बताया हुआ है। बाकी के अन्य तरीकों के और उपायों के बारे में जानने के लिए आप इस किताब की हिंदी PDF download करके पढ़ सकते हैं। उसकी लिंक नीचे दी हुई है।

दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया होंगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा तो अपने दोस्तो और रिश्तेदारों के साथ इस आर्टिकल को share करना बिलकुल भी न भूलें। साथ ही हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आप हमारे नॉलेज ग्रो टेलीग्राम चैनल को अवश्य ज्वाइन करें।

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आपका बहुमूल्य समय हमे देने के लिए दिल से धन्यवाद।

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