सारी चिंताएं दूर कर देगी भगवान श्री कृष्ण की ये कहानी – जरुर पढ़े | भगवान श्री कृष्ण की कथा
नमस्कार दोस्तों, आप सभी का नॉलेज ग्रो मोटिवेशनल ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तों आज के इस आर्टिकल के जरिये में आपके साथ भगवान श्री कृष्ण की कहानी share करने वाला हु, जो आपकी सारी चिंताएं दूर कर देगी।
दोस्तों आपको इस कहानी से बहुत कुछ सिखने को मिलने वाला है, इसलिए इस कहानी को अंत तक ध्यान से जरुर पढिये। तो बिना समय को गवाए चलिए कहानी की शुरुआत करते है।
सारी चिंताएं दूर कर देगी भगवान श्री कृष्ण की ये कहानी
दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है एक बिसनेस मैन से, जो अपने बिसनेस को लेकर काफी चिंता किया करता था की क्या होंगा आगे आने वाले कल में और कैसे काम आगे बढेगा और उनके इस व्यवसाय को उनका बच्चा संभाल पायेगा या नहीं?
दोस्तों उस बिसनेस मैन का एक लड़का भी था जो उनसे काफी बार कहता रहता था की पापा आप मुझे हमारे इस बिसनेस को संभालने का एक मौका दीजिये , क्यूँकी अब मुझे भी बिसनेस करना आ गया है। लेकिन वो व्यक्ति कभी भी अपने बेटे को मौका नहीं देता।
दोस्तों एक दिन इस बिसनेस मैन को दिल का दौरा पड़ जाता है और इसके चलते उनको हॉस्पिटल में भरती किया जाता है। जैसे ही ये खबर उनके बेटे को पता चलती है उनका बेटा दौड़कर के हॉस्पिटल में पहुचता है।
बेटा हॉस्पिटल में पहुचने के बाद उसने ये देखा की उसके पापा अब एडमिट है और डोक्टर्स ने उससे ये कहा की आपके पापा अब पहले से थोडा ठीक है और धीरे धीरे करके वे अब रिकवर हो जायेंगे। फिर उस लड़के ने अपने एक दोस्त को कॉल करके वहा पर बुला लिया।
फिर उसका दोस्त वहा पर आता है और उससे पूछता है की क्या हुआ भाई? फिर उस बिसनेस मैन के लड़के ने अपने दोस्त से कहा की मेरे पापा को दिल का दौरा आया है और उन्हें हस्पताल में एडमिट किया हुआ है।
इसके बाद उस बिसनेस मैन का लड़का अपने दोस्त से कहता है की चल ना जरा बाहर चल के आ जाते है, बहुत देर हो गई है इधर, और फिर वो दोनों हस्पताल से बाहर चले जाते है।
जब वो दोनों हस्पताल से बाहर निकलें तब उनको एक आइसक्रीम वाला दिखाई देता है। फिर उस बिसनेस मैन के लड़के ने अपने दोस्त से कहा है की भाई आ जाओ आइसक्रीम खातें है।
ये बात सुनकर उसका दोस्त थोडा चौकता है और मन ही मन कहता है की अरे ये क्या पागलपन है, पापा अन्दर भरती है और ये यहाँ पर आइसक्रीम खाने की सोच रहा है…
फिर उन दोनों ने आइसक्रीम खरीद ली और वे दोनों आइसक्रीम खाने लगे , लेकिन उसका जो दोस्त था ना उससे ये रहा नहीं गया और उसने अपने दोस्त से पूछ लिया की भाई मुझे समझ नहीं आ रहा है की तुम्हारे बिसनेस का आगे क्या होंगा और तुम्हारे पापा की तबियत भी ठीक नहीं है और तू यहाँ आइसक्रीम खा रहा है, मुझे कुछ समज में ही नहीं आ रहा है।
फिर ये जो बिसनेस मैन का लड़का था ना और उसने जो बात कही उसे आप ध्यान से पढियेगा : उसने अपने मित्र से कहा की मुझे ये मालूम है की तू ये सोच रहा होंगा की मेरे पापा एडमिट है यहाँ पर आइसक्रीम चल रही है , मजे चल रहे है , पर ऐसा कुछ नहीं है।
में भगवान श्री कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त हु और उनकी दो बातें हमेशा अपनी जिन्दगी में याद रखता हूँ। पहली बात जो हम सबको पता है की काम करना है और फल की चिंता नहीं करनी है, इसलिए जो होंगा देखा जायेगा में सिर्फ अपने काम पर ही फोकस करूँगा और फिर बिसनेस भी अच्छा चलेगा।
दूसरी बात: वो लड़का अपने दोस्त से कहता है की में तुम्हे भगवान श्री कृष्ण की कहानी सुनाता हु , जो तुम्हे दूसरी बात क्या है? वो अच्छी तरह से समजाएगी।
भगवान श्री कृष्ण की जो पत्नी थी जिनका नाम रुक्मिणी था। उनको जब पहला बेटा हुआ था, तो उसका नाम प्रद्युम्न रखा गया था। और प्रद्युम्न के जन्म के 10 दिन पश्च्यात ही प्रद्युम्न का अपहरण हो गया।
प्रद्युम्न के अपहरण के कारन रुक्मिणी नाराज और उदास रहने लगी की क्या हो गया है। भगवान श्री कृष्ण रुक्मिणी जी से कहते थे की चिंता मत करो क्यूँकी प्रद्युम्न जहा पर भी होंगा वही पर ठीक होंगा।
लेकिन इतना समझाने के बावजूद भी रुक्मिणी अपने बच्चे की चिंता में उदास और निराश रहती थी. और इस तरह चिंता करते करते रुक्मिणी जी के 18 साल बीत गए।
18 साल के बाद द्वार्का में जब प्रद्युम्न की वापसी हुई और जब प्रद्युम्न द्वार्का में वापस आये तो उनके साथ में उनकी पत्नी मायावती भी थी। अब समस्या ये थी की मायावती की उम्र प्रद्युम्न से 20 साल ज्यादा थी।
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वहा रुक्मिणी पहले तो खुश हुई की बच्चा वापस आ गया और फिर से दुखी हो गयी क्यूँकी इतनी बड़ी लड़की से शादी कि इसलिए। रुक्मिणी फिर से भगवान श्री कृष्ण से जाकर कहने लगी की ये क्या हो गया?
फिर भगवान श्री कृष्ण जी ने माँ रुक्मिणी जी से कहा की जो हो गया है उसको स्वीकार कर लों और आगे बढ़ो और चिंता मत करो, लेकिन माँ रुक्मिणी ये कह रही थी की बड़ी लड़की से शादी क्यों कर ली और ये ही लड़की मिली थी क्या? और इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रही थी।
इसके कारन ८ साल तक माँ रुक्मिणी जी दुखी और निराश रही और ८ साल के बाद रुक्मिणी जी ने ये स्वीकार कर लिया की प्रद्युम्न ने जो यह शादी करी थी वो ठीक है और इसके लिए ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है। और उस शादी को उन्होंने स्वीकार कर लिया।
दोस्तों एक तरीके से माँ रुक्मिणी जी ने अपने जिन्दगी के २६ साल उदासी में बिता दिए। इस कहानी को ख़त्म करते हुए वो लड़का अपने दोस्त से बोला की मैंने अब स्वीकार करना सीख लिया हुआ है, क्यूँकी भगवान श्री कृष्ण जी कहते है की जो हो रहा है उसे स्वीकार कर लों, जिन्दगी अपने आप सहज हो जाएगी।
दोस्तों ये छोटी सी कहानी जो हमें दो बड़ी बातें सिखाती है और यही बाते में आपके साथ share करना चाहता था की हमारी जिन्दगी में जो कुछ भी घटता है, उसे स्वीकार करना सीख लीजिये और फिर जिन्दगी अपने आप सहज हो जाएगी।
हमारे नियंत्रण में जितने भी चीजे होंगी उन चीजो पर तो हमें जरुर नियंत्रण रखना चाहिए, लेकिन जो चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर है, उन चीजों को हमें स्वीकार कर लेना चाहिए। अगर हमने स्वीकार नहीं किया तो हमें भी माँ रुक्मिणी की तरह बहुत सालो तक उदास रह जायेगे।
दोस्तों आज के यह कहानी आपको कैसी लगी और आपको इस कहानी से क्या क्या सिखने को मिला? ये हमें निचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरुर बताइए। साथ ही अगर आपको श्री कृष्ण की ये कहानी पसंद आई होंगी, तो इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ अवश्य share कीजियेगा।
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दोस्तों आज के इस “श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा इन हिंदी” आर्टिकल में सिर्फ इतना ही, दोस्तों हम आपसे फिर मिलेंगे ऐसे ही एक इंट्रेस्टिंग आर्टिकल के साथ, तब तक के लिए आप जहा भी रहिये खुश रहिये और खुशिया बाटते रहिये।
आपका बहुमूल्य समय हमें देने के लिए दिल से धन्यवाद…
Nice article