Top 5 Shrimad Bhagwat Katha in Hindi, श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में, भागवत कथा की कहानियां हिंदी में.
नमस्कार मेरे प्यारे भाईयों और बहनों, आप सभी का हमारे नॉलेज ग्रो स्पिरिचुअल ब्लॉग पर पर स्वागत है। दोस्तो आज का यह आर्टिकल आप सभी के लिए बहुत ही स्पेशल और जीवन को बदल देने वाला साबित होने वाला है, इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए।
दोस्तो अगर आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते हैं, तो आपको इस आर्टिकल के जरिए बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है। जो आपकी जिंदगी को बदल सकता है। इसलिए इस “Top 5 Shrimad Bhagwat Katha in Hindi” आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़िए। तो बिना समय को गवाए चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।
Top 5 Shrimad Bhagwat Katha in Hindi Me | श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में
दोस्तो इस आर्टिकल के जरिए में आपके साथ जो 5 भागवत कथा की कहानियां हिंदी में शेयर करने वाला हु, उन कहानियों को पढ़ने के बाद आपके मुंह से एक ही तारीफ निकलेगी की “वाह भाई वा क्या कहानी थी और काश मैंने इन कहानियों को पहले पढ़ लिया होता।”
दोस्तो श्रीमद् भागवत कथा की कहानियां हिंदी में पढ़ने से पहले आपको यह जानना होगा की भागवत कथा का महत्व क्या है? और श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने से क्या होता है? तो सबसे पहले जानते हैं कि श्रीमद् भागवत कथा का महत्व क्या है?
श्रीमद् भागवत कथा का महत्व क्या है? – Importance of Bhagwat Katha in Hindi
दोस्तों श्रीमद् भागवतम पुराण भगवान श्री कृष्ण का ग्रंथावतार है और श्रीमद् भागवतम भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरुप भी है। कैसे आइए जानते है… पहले दो स्कन्द भगवान श्री कृष्ण के चरण है, तीसरा और चौथा स्कन्द भगवान की जांगे है और पाचवा स्कन्द भगवान का उदर है। छटा स्कन्द भगवान का वक्षस्थल है और सातवा और आठवा स्कन्द भगवान् की भुजाएं है।
नववा स्कन्द भगवान का गला है और दशम स्कन्द भगवान का चेहरा है, और उसमे रासलीला के चैप्टर्स भगवान की सुन्दर मुस्कान है। ११ वा स्कन्द भगवान का ललाट है और १२ स्कन्द भगवान के सर पे जो वृन्दावन के फ्लावर्स की जो पगड़ी है ना वो १२ स्कन्द है।
दोस्तों इस ग्रंथ में भगवान श्री कृष्ण की कहानियाँ लिखी हुई है और इसके साथ ही जीवन को बदल देने वाले लाइफ लेसंस भी इस पुराण से हमें सिखने को मिलते है। और ये ग्रंथ खास करके कलियुग के लोगो के लिए लिखा हुआ है, ताकि कलियुग के लोगो के अन्दर कृष्ण प्रेम जागृत हो सके।
श्रीमद् भागवत कथा पढ़ने से क्या होता है?
जो भी व्यक्ति श्रीमद् भागवत कथाओ को पढ़ता है, उसके अन्दर कृष्णप्रेम जागृत हो जाता है। और वो व्यक्ति कलियुग के विनाशकारी प्रभावों से बच जाता है। यानि की उसके अन्दर से काम , क्रोध, लोभ , मोह, मद, मात्सर्य इन सभी मानसिक दोषों से वह व्यक्ति मुक्त हो जाता है। इसलिए दोस्तों श्रीमद् भागवत कथाओ को एक बार अवश्य पढ़िए।
प्रभु का ध्यान – Shrimad Bhagwat Katha in Hindi With Moral
दोस्तो एक बार गौलोक धाम में राधा रानी जी ने भगवान श्री कृष्ण जी से पूछा कि हे श्याम सुंदर! कंस आपका सगा मामा होते हुए भी आपके माता पिता को बहुत ही घोर पीड़ा देता था। साथ ही आपका और साधु संतो का मजाक भी उड़ाया करता था।
अपने किसी न किसी असुर को भेजकर आपको जान से मार देने का प्रयास भी करता रहता था। तो फिर भी उस महा पापी में ऐसे कौन से ऐसे पुण्य थे की, आपकी हाथों से उसे परम मोक्ष प्राप्त हुआ? फिर भगवान श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया की,
हे राधे, मेरे सगे मामा कंस जो कुछ भी करते थे या सोचते थे, वो सब मेरे ही बारे में ही होता था। चाहे द्वेष, क्रोध या भय के कारण ही क्यों न हो, लेकिन वो निरंतर मेरा स्मरण किया करते थे। इसलिए जो व्यक्ति मेरा निरंतर स्मरण करेगा, उसे में मोक्ष ही दूंगा। चाहे वह मेरा विरोधी ही क्यों न हो।
दोस्तो इसलिए श्रीमद् भागवत पुराण के अंत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण श्लोक आता है और वो श्लोक है।
नामसंकीर्तन यस्य सर्वपापप्रनाशनम । प्रणामो दु:खशमनस्त नमामि हरि परम्।
अर्थात हम उन हरि को प्रणाम करते हैं जिनके नाम संकीर्तन से भी सभी प्रकार के पापो का नाश होता है और सारे दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
दोस्तो कंस तो भगवान श्री कृष्ण से द्वेष रखते थे, लेकिन फिर भी उनको भगवान श्री कृष्ण के द्वारा मुक्ति मिल गई। लेकिन अगर हम भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करेंगे और उनकी भक्ति करेंगे, तो सोचिए की हमे क्या नही मिल सकता। इसलिए दोस्तो हमे श्री हरी का भक्त बनना चाहिए और उनकी भक्ति करनी चाहिए। क्योंकि वो ही है जो हमे इस जन्म मृत्यु के कष्ट से मुक्ति दिला सकते हैं और हमारा उद्धार कर सकते हैं।
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शांति कहा मिलेगी – Shrimad Bhagwat Katha Hindi Me
दोस्तों एक बार भगवान विष्णु सभी जीवों को कुछ न कुछ भेट कर रहे थे। सभी जीव भेट को स्वीकार करते हैं और खुशी खुशी अपने निवास स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं। जब सभी जीव वहा से चले गए तो माता लक्ष्मी ने भगवान से कहा कि हे नाथ! आपने सभी जीवों को कुछ न कुछ दिया और अपने पास कुछ भी नही रखा है, लेकिन एक चीज जो आपने अपने पैरो के नीचे छिपा लिया हुआ है, वो क्या है?
फिर भगवान ने माता लक्ष्मी जी से कहा कि हे देवी मेरे पैरो के नीचे “शांति” है। शांति को मैंने किसी को भी नही दिया, क्योंकि सुख सुविधाएं तो सभी के पास हो सकती है, लेकिन शांति तो किसी दुर्लभ व्यक्ति के पास ही होगी। यह में सबको नहीं दे सकता, क्योंकि जो मेरी प्राप्ति के लिए तत्पर होगा और जिसकी चेष्टाएं मुझ तक पहुंचने की होंगी, उसी को ही शांति मिलेगी।
भगवान श्री हरी (भगवान विष्णु) की आज्ञा लेकर के शांति ने माता लक्ष्मी जी से कहा कि हे जगत माता, श्री हरी ने मुझे अपने पैरो के नीचे नहीं छिपाया है, बल्कि में खुद ही उनके पैरो के नीचे छिप गई हु। इसलिए शांति तो सिर्फ श्री हरी के चरणों के नीचे ही जीव को मिलेगी, अन्यथा कही नही।
दोस्तो व्यक्ति सारी सुख संपत्ति से सुसज्जित हो, लेकिन अगर उसके पास शांति न हो, तो उसकी सारी संपत्ति व्यर्थ हो जाती है। इसीलिए स्वय सुख समृद्धि की जननी माता लक्ष्मी जी भी शांति के प्राप्ति हेतु श्री हरी के चरणों की सेवा हमेशा करती रहती है।
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कथा भक्त प्रल्हाद महाराज की – भागवत कथा की कहानियां
दोस्तो सतयुग में प्रल्हाद महाराज का जन्म हुआ था और वो भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। उनके पिता हिरण्यकश्यपु एक असुर थे और उन्होंने ब्रह्माजी का कई वर्षो तक कठोर तप किया और उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे अजय अमर होने का वरदान भी दिया।
हिरण्यकश्यपु को ऐसा वरदान मिला था की उसे ना कोई घर में मार सकता था और ना ही बाहर, ना अस्त्र से ना शस्त्र से, ना दिन में मार सकता था न रात मे, न मनुष्य मार सकता था न पशु, न आकाश में मार सकता था, न पृथ्वी पर। इस वरदान गलत फायदा उठाकर उसने सभी देवी देवताओं को मारकर स्वर्ग से भगा दिया था और स्वर्ग पर उसने अपना कब्जा कर लिया।
अब वो सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया था। सभी देवी देवता हिरण्यकश्यपु को किसी भी तरीके से पराजित नहीं कर पा रहे थे। जब हिरण्यकश्यपु तप कर रहा था, तब देवताओ ने असुरो पर आक्रमण किया हुआ था। तब सब असुर वहा से भाग गए थे। तब देव ऋषि नारद मुनि ने हिरण्यकश्यपु की पत्नी कायदू को अपने आश्रम में शरण दी हुई थी।
दोस्तों तब उस समय प्रल्हाद महाराज कायदू देवी के गर्भ में थे। उसी समय से देव ऋषि नारद मुनि जी के उपदेशों का प्रभाव गर्भ में पल रहे प्रल्हाद महाराज पर पड़ रहा था। दोस्तो इसलिए कहा जाता है की गर्भवती महिलाओं को भी बहुत सावधान रहना चाहिए कि वे क्या खा रही है और क्या सुन रही है और क्या बोल रही है। क्योंकि इन सभी चीजों का सीधा सीधा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है।
और जब हिरण्यकश्यपु वापस आया तो प्रल्हाद को आचार्य शुक्र के दोनों पुत्रो के पास भेज दिया। उस प्रतिभाशाली बालक ने धर्म, अर्थ, काम की शिक्षा सम्यक रूप से प्राप्त की। परंतु जब हिरण्यकश्यपु ने उससे पूछा की बताओ तुमने क्या सिखा है? तो भक्त प्रल्हाद ने श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिदेवन इन ९ विद्या भक्ति को ही सर्वश्रेष्ठ बताया।
ये सब सुनकर हिरण्यकश्यपु अत्यंत क्रोधित हुआ और उसने अपने सैनिकों से कहा कि ये मेरे शत्रु श्री विष्णु का भक्त है, इसलिए इसे अभी के अभी मार डालो। अहंकार में चूर हिरण्यकश्यपु को ये बर्दाश्त ही नही हुआ क्योंकि उसे छोड़कर और उसके होते हुए भी किसी ओर की उपासना की जा रही है।
भक्त प्रल्हाद को विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित करने का प्रयास कराया गया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वो छोटा सा और निसाह्य दिखने वाला बालक हर बार बच गया। इससे हमे बहुत ही महत्वपूर्ण सीख समझ सकते हैं। और वो है की यदि हम भी पूर्ण रूप से भगवान पर आश्रित होते हैं, तो वो सांसारिक कष्टों से हमारी रक्षा जरूर करते हैं।
तो भक्त प्रल्हाद की विष्णु भक्ति से परेशान होकर के हिरण्यकश्यपु ने उसे जान से मारने की कोशिश की और भगवान की उपस्थिति को मेहल की खंबे में भी होने की इस बात को जब उसने ललकारा, तब स्वयं भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हो गए।
फिर नरसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यपु को राजभवन की चौकट पर अपने गोद में लेटाया और अपने उज्वल नाखूनों से उस असुर हिरण्यकश्यपु का पेट चीर डाला। इस प्रकार ब्रह्मा जी द्वारा दिए गए वरदान का सम्मान भी करते हुए भगवान श्री नरसिंह देव ने हिरण्यकश्यपु का वध कर डाला, और अपने अनन्य भक्त प्रल्हाद का सरंक्षण भी किया।
तो दोस्तो इस कहानी से हमने यह सीखा की नरसिंह भगवान क्यों प्रकट हो गए, केवल और केवल अपने भक्त की वाणी को सच करने के लिए की भगवान कण कण में विराजमान होते है और भक्त प्रल्हाद की रक्षा करने के लिए प्रकट हो गए।
और संसार के हम सब लोगो को ये संदेश देने के लिए “यदि श्रद्धा अटल हो और निष्ठा दृढ़ हो भगवान अपने भक्त से मिलने के लिए अवश्य आते हैं। चाहे उसके लिए उन्हें एक खंबे से ही क्यों न प्रकट होना पड़े और चाहे भक्त को हानि पहुंचाने वाला श्रृष्टि के रचयेता ब्रह्मा जी से अमर होने वरदान लेकर भी क्यों न आया हो। फिर भी वे आते है और अपने भक्तो की रक्षा स्वयं करते हैं।
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परमात्मा पर भरोसा – Shrimad Bhagwat Katha in Hindi
एक बार एक चिड़िया ने शिकायत की, हे परम पिता परमेश्वरा, बड़ी मुश्किल से मैंने यह घोसला बनाया हुआ था, और आपने तूफान को भेज दिया और मेरा घर उजड़ गया। फिर ऊपर से आवाज आई की, तेरे घोसले में साप आया था तुझे खाने के लिए। इसलिए मैने तूफान भेजा ताकि तुम जाग सको और उड़ जाओ और तुम्हारी जान सुरक्षित रह सके।
दोस्तो हमारी जिंदगी में कितनी मुसीबते आती है और हमको पता भी नही होता की हमारा परमात्मा हमे किस तरह परेशानी से बचाता है। अगर आपको ऐसा लगता है कि परमात्मा आपको कष्ट के पास ले आए है, तो भरोसा रखिए क्योंकि वो आपको कष्ट के पार भी ले जायेंगे।
विश्वास की जीत – श्रीमद् भागवत कथा हिंदी में
एक संत कुएं पर स्वय को जंजीर से लटकाकर ध्यान किया करते थे। और कहते थे कि जिस दिन ये जंजीर टूटेगी उस दिन मुझे प्रभु श्री कृष्ण मिल जायेंगे। पूरा गांव उनकी भक्ति की और तपस्या की प्रशंशा करता था। फिर एक व्यक्ति ने यह सोचा कि में भी प्रभु श्री कृष्ण के दर्शन करू।
इसलिए उसने भी अपने आपको रस्सी से बांधकर कुएं में लटका दिया और भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करने लगा। कुछ समय बाद जब रस्सी टूट गई तब भगवान श्री कृष्ण ने उसे अपने गोद में ले लिया और उसे अपना दर्शन भी दिया।
दर्शन करने के बाद उस व्यक्ति ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा की हे श्याम सुंदर आपने तो मुझे इतने जल्दी दर्शन दिए जब की वे महात्मा जी वर्षो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे है, आपने उन्हें अभी तक अपना दर्शन क्यों नहीं दिया?
फिर भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराकर बोले कि वो कुएं पर लटकते जरूर है, लेकिन पैर को लोहे की जंजीर से बांधकर। उन्हे मुझसे अधिक विश्वास जंजीर पर है, लेकिन तुमने स्वय से अधिक विश्वास मुझ पर किया, इसलिए में आ गया। दोस्तो इसी प्रकार अगर हम सच्ची एवम पूर्ण विश्वास से भगवान को पुकारेंगे तो, वे अवश्य आयेंगे और हमे अपना दर्शन भी देंगे।
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सत्संगति का फल – संपूर्ण भागवत कथा इन हिंदी में
एक भंवरा हर रोज फूलो के बाग के पास से गुजरता रहता था। वहा से एक गंदा नाला भी गुजरता था और उस गंदे नाले में एक कीड़ा भी रहता था। एक दिन उस भंवरे की नजर उस कीड़े पर पड़ती है, और उसने उस नाली के कीड़े से पूछा की तुम इस गंदी जगह पर क्यों रहते हो?
नाले के कीड़े ने जवाब दिया की यह मेरा घर है। फीर भंवरे ने कीड़े से कहा कि चलो में तुम्हे जन्नत की सैर कराता हु, इसलिए तुम मेरे साथ चलो और मुझसे दोस्ती कर लो। फिर भंवरे ने कहा कि में कल तुमसे मिलने के लिए आऊंगा तब तुम मेरे साथ चलना।
अगले दिन भंवरा उस कीड़े को अपने साथ अपने कंधे पर बिठाकर बाग में ले जाता है, और उस कीड़े को एक फूल पर बिठाकर खुद रस पीने के लिए चला जाता है। भंवरा श्याम को उस कीड़े को वापस घर ले जाना भूल जाता है और जिस फूल में कीड़ा बैठा हुआ था, वो फूल श्याम को बंद हो जाता है।
तो वो कीड़ा भी उस फुल में ही बंद हो जाता है। अगले दिन माली आता है और उन फूलो को तोड़कर ले जाता है। और उन फूलो की माला बनाकर बाके बिहारी जी के मंदिर भेज देता है। वही माला बिहारी जी के गले में पहना दी गई जाती है। सारे दिन के बाद उस माला को यमुना में प्रवाहित कर दी गई। वो कीड़ा यह सब देख रहा था।
फिर वो कीड़ा कहता है कि वाह रे भंवरे तेरी दोस्ती ने मुझे भगवान का स्पर्श करवा दिया। और अंतिम समय में मुझे यमुना में प्रवाहित करवा दिया गया। दोस्तो ये भंवरा और कोई नही बल्कि जीवन में मिला कोई सत्संगी पुरुष है, जो हमे भव बंधन के सागर से बहुत दूर ले जाने में मदद करता है। ऐसा सत्संगी मित्र हमे भगवान श्री कृष्ण की कृपा से ही मिलता है।
दोस्तो यह थी वो 5 श्रीमद् भागवत कथाएं हिंदी में, आप सभी को ये सभी श्रीमद् भागवत कथाएं कैसी लगी और इन कहानियों से आपको नया क्या सीखने को मिला? यह हमे नीचे दिए गए कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके जरूर बताइए। साथ ही इस आर्टिकल को अपने दोस्तो के साथ अवश्य शेयर कीजिए।
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Shrimad Bhagwat Katha Video in Hindi Me:
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आपका बहुमूल्य समय हमे देने के लिए दिल से आभार 🙏🙏🙏
FAQ QUESTIONS:
भागवत कथा पढ़ने से क्या होता है?
जो भी व्यक्ति श्रीमद् भागवत कथा को पढ़ता है, उसके अन्दर कृष्णप्रेम जागृत हो जाता है। और वो व्यक्ति कलियुग के विनाशकारी प्रभावों से बच जाता है। यानि की उसके अन्दर से काम , क्रोध, लोभ , मोह, मद, मात्सर्य इन सभी मानसिक दोषों से वह व्यक्ति मुक्त हो जाता है।
भागवत कथा में क्या लिखा है?
भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण की कहानियों के बारे में और उनकी लीलाओ के बारे में लिखा हुआ है।
भागवत कथा का सार क्या है?
श्रीमद् भागवतम पुराण में सभी ग्रन्थों का सार दिया हुआ है और इसमें खुद के अन्दर कृष्णप्रेम जागृत कैसे करे इस बारे में लिखा हुआ है।
भागवत कथा क्यों कराई जाती है?
खुद के अन्दर कृष्णप्रेम जागृत करके काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य इन सभी मानसिक दोषों से बचने के लिए भागवत कथा कराई जाती है।